लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के कई अन्य राजनेताओं से इतर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ रमजान के मौक किसी इफतार पार्टी का आयोजन नहीं करने जा रहे। उनके करीबी एक सूत्र ने यह जानकारी दी है। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते भाजपा नेता कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह रमजान के महीने में अल्पसंख्यकों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया करते थे। अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एक सीनियर ऑफिसर ने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ सीएम आवास पर शायद ही किसी इफ्तार पार्टी का आयोजन करें।”

योगी आदित्य नाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं, उन्होंने कभी इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया है। हालांकि वह नवरात्री पर्व के दौरान पूरे रीति-रिवाज से व्रत रखते हैं और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने इस परंपरा को नहीं छोड़ा था। मुस्लिम नेताओं ने इफ्तार पार्टी का आयोजन ना करने के फैसले को योगी की राजनीति का हिस्सा बताया है।

लखनऊ ईदगाह के इमाम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य खालिद रशीद फिरंगी महाली ने कहा, “इफ्तार की दावत का आयोजन एक परंपरा है जिसे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेश और यहां तक की व्हाइट हाउस में भी आयोजित किया जाता है। यह आयोजक का सम्मान और सद्भाव दिखाता है। यहां तक कि भाजपा नेता कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह भी मुख्यमंत्री रहते इसका आयोजन करते थे। मुख्यमंत्री आवास पर इफ्तार पार्टी ना करने का फैसला देश की धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करेगा।”

कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरीखे नेता भी इफ्तार पार्टी दिया करते थे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा नहीं किया, माना जा रहा है कि योगी आदित्य नाथ उन्हीं के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं। बता दें कि देश की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी उत्तर प्रदेश में रहती है। यह दूसरी बार है जब 1974 में हेमावती नंदन बहुगुणा के समय से यूपी में चली आ रही इफ्तार पार्टी देने की परंपरा को नहीं निभाया जा रहा है। इससे पहले राम प्रकाश गुप्ता के मुख्यमंत्री रहते भी इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया गया था।