कुंबले-कोहली में मनमुटाव से टीम परेशान
नई दिल्ली: चैंपियंस ट्रॉफी में भारत और पाकिस्तान के मैच से पहले जहां दर्शकों में बेहद उत्साह है वहीं भारतीय टीम में कोच को लेकर हलचल मची हुई है. सूत्रों के मुताबिक कोच कुंबले और कप्तान कोहली विवाद से टीम असमंजस में है.
मैच की तैयारी से ज़्यादा कोच-कप्तान मनमुटाव की खबरों से खिलाड़ियों का ध्यान भटका हुआ है. पाकिस्तान के साथ 4 जून को भारत का अहम मैच है.
जल्द ही तेंदुलकर-लक्ष्मण-गांगुली की होगी इंग्लैंड में कोच-कप्तान से मुलाकात करने वाले हैं. लेकिन, न ही बीसीसीआई के अधिकारी और ना ही सीओए ने अब तक कोई पहल की है.
दरअसल, कुंबले और कोहली के बीच तनाव के शुरुआत टीम इंडिया के लंदन पहुंचते ही हो गई जब बीसीसीआई ने नए कोच के लिए आवेदन मंगाने की बात सार्वजिनक की. शुरू में तो ऐसा लगा कि बीसीसीआई के कुछ पुराने अधिकारी कुंबले से नाखुश हैं और इसलिए उन पर दबाव बनाने के लिए ऐसी चाल चल रहे हैं.
लेकिन, इस विवाद में एक नया खुलासा भी सामने आया. सूत्रों का भरोसा किया जाए तो कप्तान कोहली और कुंबले के बीच पिछले कुछ महीनों से मनमुटाव चल रहा था. इसकी शुरुआत हुई ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ धर्मशाला टेस्ट मैच से जब कोहली के अनफिट होने पर कुलदीप यादव को पहला टेस्ट खेलने का मौका दिया गया.
हालांकि, मैच ख़त्म होने के बाद कप्तान कोहली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंजिक्य रहाणे और 'अनिल भाई' की बोल्ड फैसले के लिए जमकर तारीफ की थी. लेकिन, अब ये बात खुलकर सामने आ रही है कि कप्तान कोहली उस फैसले से खुश नहीं थे. कोहली ही नहीं टीम इंडिया के कुछ और सीनियर खिलाड़ी भी कुंबले की कोचिंग स्टाइल से खुश नहीं माने जा रहे हैं हालांकि किसी ने इस बात पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है.
वहीं, लंदन में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोहली ने जिस तरह से कुंबले प्रकरण में बीसीसीआई के रवैये को सिर्फ 'एक सामान्य प्रकिया बताया' उससे भी जानकार हैरान थे. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि कोच के तौर पर कोहली की पहली पंसद रवि शास्त्री थे और किस तरह से पिछले साल सार्वजनिक तौर पर कोहली ने शास्त्री के चयन के लिए वकालत की थी. लेकिन, इस बार कोहली ने कुंबले की कोचिंग के लिए ऐसी कोई बात नहीं की.
भारतीय क्रिकेट में कयास का दौर जारी है. उस पर भी जब तक कप्तान और कोच साझे तौर पर इस 'दरार' वाली बात का खंडन नहीं करते हैं तो भारत-पाकिस्तान मुकाबले से पहले ये टीम इंडिया के लिए सबसे ज़्यादा भटकाने वाला मुद्दा साबित हो सकता है.