यूपी में मिलावट पकड़ने वाली लैब ही निकली मिलावटी
छह में से पांच राज्य प्रयोगशालाएं एनएबीएल से मान्यता प्राप्त नहीं
इलाहाबाद: बाहर खाने-पीने वाले लोगों की सेहत भगवान भरोसे है। आलम यह है कि खानपान की गुणवत्ता जांचने के लिए सूबे में स्थापित छह में से पांच राज्य प्रयोगशालाएं (आगरा, मेरठ, गोरखपुर, वाराणसी और झांसी) नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेट्रीज (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त नहीं हैँ। आवश्यक उपकरणों की भारी कमी के कारण ये प्रयोगशालाएं खाद्य पदार्थों के सभी प्रकार की जांच में सक्षम नहीं हैं। यह खुलासा भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की जनरल और सोशल सेक्टर की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। राज्य के विधानमंडल के समक्ष 18 मई को वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
प्रधान महालेखाकार पीके कटारिया ने सोमवार को मीडिया को बताया कि 1250 खाद्य नमूनों की जांच की गई तो पता चला कि 335 (27 प्रतिशत) कारोबारी बिना वैध लाइसेंस/पंजीकरण के कारोबार संचालित कर रहे हैं। खाद्य विभाग के पास नमूना इकट्ठा करने के लिए कोई प्रक्रिया, मानक अवधि निर्धारित नहीं होने के कारण नमूना संग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी। किसी विवाद की स्थिति में एनएबीएल की विधिक मान्यता नहीं होने के कारण इन प्रयोगशालाओं की जांच रिपोर्ट कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य नहीं हो सकती है।