यूपी के शिक्षामित्रों के लिए परंपरा से हटकर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई, फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली: ये सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच नहीं थी, बल्कि 1.72 लाख शिक्षकों के भविष्य का सवाल था, लिहाज़ा, अदालती समय सीमा और परंपरा से हटकर सुप्रीम कोर्ट ने शाम 4.10 बजे के बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू की, जो 6 बजे तक चली.
उत्तर प्रदेश के 1.72 लाख शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी पक्षकार लिखित रूप से अपना पक्ष रखना चाहता है वह एक हफ्ते के भीतर रख सकते हैं. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने बुधवार को सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, जयंत भूषण, आरएस सूरी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी ओर से दलीलें पेश की. शिक्षामित्रों की ओर से पेश अधिकतर वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं. वे अधर में हैं. लिहाजा, मानवीय आधार पर सहायक शिक्षक के तौर पर शिक्षामित्रों के समायोजन को जारी रखा जाए. साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करें.
वरिष्ठ वकील नितेश गुप्ता ने कहा कि सहायक शिक्षक बने करीब 22 हजार शिक्षामित्र ऐसे हैं, जिनके पास वांछनीय योग्यता है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि ये शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं. ये सभी करीब 10 सालों से काम कर रहे हैं. वहीं शिक्षामित्रों की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है. उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है. वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी. उनकी नियुक्ति पिछले दरवाजे से नहीं हुई थी. शिक्षामित्र पढ़ाना जानते हैं. उनके पास अनुभव है. वे वर्षों से पढ़ा रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव में उनके साथ मानवीय रवैया अपनाया जाना चाहिए. सभी की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
उल्लेखनीय है कि 12 सिंतबर 2015 को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.70 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. अब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर सुनवाई करेगी कि अकेडमिक शिक्षक भर्ती पर सभी को टीईटी का कितना वेटेज मिलना चाहिए.