नई दिल्ली: रेल से सफर करने वाले मुसाफिरों को एक बार फिर से अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है। रेलवे ने कहा है कि बढ़ते घाटे को ध्यान में रखते हुए टिकट रेट बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है। रेल मंत्रालय ताजा बयान के मुताबिक रेलवे के घाटे में 500 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सिर्फ इतना ही नहीं, मुफ्त बीमा देने के बाद रेलवे को अतिरिक्त 40 करोड़ रुपए का घाटा बढ़ गया। रेल मंत्रालय का कहना है इस घाटे को भरने के संबंध में उन्होंने वित्त मंत्रालय को काफी बार पत्र लिखा है। रेलवे के इस बढ़ते घाटे की वजह टिकटों की बुकिंग पर सर्विस टैक्स नहीं लिया जाना है। मंत्रालय के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी की घोषण के बाद रेलवे सेवा कर रहित योजना को पहले ही 30 जून तक बढ़ा चुका है।

मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा “अगर वित्र मंत्रालय अब भी इस योजना को बढ़ाना चाहता है तो रेलवे का घाटा भरने के लिए कुछ न कुछ कदम जरूर उठाए जांए।” रेलवे का यह भी कहना है कि ऐसे कदम उठाए जांए जिससे रेलवे के कम से कम 70 % घाटे की भरपाई हो सके। बता दें कि सेवा कर रहित योजना के पहले आईआरसीटीसी एसी श्रेणी के टिकट पर 40 रुपए और नॉन एसी के प्रति टिकट पर 20 रुपए वसूल करता था। लेकिन अब ये मुफ़्त है। रेलवे के मुताबिक टिकटों पर लगने वाला सेवा कर रेलवे का राजस्व का सबसे बड़ा स्त्रोत है। रेलवे ने वर्ष 2015-16 में सेवा कर से 256 करोड़ रुपए और वर्ष 2014-15 में 256 करोड़ की कमाई की थी। लेकिन कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की पीएम की घोषणा के बाद रेलवे अपने पैसेंजर से यह चार्ज नहीं ले रहा है। इस वजह से रेलवे का घाटा बढ़ता ही जा रहा है।

इसके अलावा रेलवे ने घाटा कम करने के लिए बैंको से भी संपर्क साधा है। रेल मंत्रालय ने बैंकों से अनुरोध किया कि उनकी ट्रांजेक्शन फीस कम की जाए। आईआरसीटीसी के नए नियम के मुताबिक अब बैंकों को पेमेंट गेटवे के रूप में 20 लाख रुपये की अग्रिम राशि रेलवे के पास जमा करनी होगी । इससे पहले यह सीमा 10 लाख रुपए थी।