योगी के जनता दरबार का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं
लखनऊ: योगी आदित्यनाथ यूपी का मुख्यमंत्री बनने से पहले सांसद के रूप में
गोरखपुर शहर मे रहने पर नित्य और निश्चित समय पर नियमित रूप से
फरियादियों से मिलते रहे हैं। यह उनकी नियमित दिनचर्या का यह बहुत
महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसके लिये हजारों की तादाद में हर जाती वर्ग
सम्प्रदाय के लोग आते रहे हैं। समस्याग्रस्त लोगों के पत्र लेकर उसे अपने
पीछे खडे अधिकारियों को थमाकर फिर हाथ झाडकर सिर्फ फर्ज अदायगी जैसी
औपचारिकता करने के स्थान पर योगी के काम करने का अंदाज एकदम से अलग रहा
है। योगी हर पीडित को अलग से बुलाकर उससे व्यक्तिगत रूप् से रूबरू होते
रहे हैं।इस मौके पर पीडितों की भीड उनके कक्ष के बाहर ही खडी रहती रही
है। उनकी बारी आने पर ही एक एक को इनके पास भेजा जाता रहा है। पर लगता है
कि कभी फरियादियों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए अपना भोजन तक छोड़
देने वाले
योगी भी मुख्यमंत्री बनने के बाद बदल रहे हैं l ऐसा हम नहीं कह रहे हैं
बल्कि ऐसा कह रहा है एक आरटीआई जबाब जो यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय के
जन सूचना अधिकारी ने राजधानी लखनऊ के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता
इं. संजय शर्मा को दिया है l
दरअसल समाजसेवी संजय ने बीते अप्रैल महीने की 8 तारीख को मुख्यमंत्री
कार्यालय में आरटीआई दायर कर मुख्यमंत्री योगी के जनता दरबार से सम्बंधित
14 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुभाग अधिकारी
और जन सूचना अधिकारी सुनील कुमार मंडल ने संजय को जो सूचना दी है वह वेहद
चौंकाने वाली होने के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी के जनता दरवारों में आये
फरियादियों के प्रति मुख्यमंत्री कार्यालय के तंत्र के उदासीन रवैये को
भी सामने ला रहा है l
संजय को दी गई सूचना के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय के पास अब तक हुए
जनता दरबारों की संख्या, जनता दरबारों नें आये फरियादियों की संख्या,
जनता दरबारों नें आये फरियादियों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों की
संख्या, जनता दरबारों नें आये फरियादियों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों
में से निस्तारित हो चुके प्रार्थना पत्रों की संख्या की कोई सूचना नहीं
है l मंडल ने संजय को यह भी बताया है जनता दरबारों नें आये फरियादियों
द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों के आधार पर किसी लोकसेवक को दण्डित किये
जाने की भी कोई सूचना मुख्मंत्री कार्यालय में नहीं है l
जनता दरबार में शामिल होने के लिए तय की गई प्रक्रिया के सबाल पर मंडल ने
संजय को बताया है कि जनता दरबार में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में शामिल
हुआ जा सकता है जिसके लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है l
मुख्यमंत्री कार्यालय के पास अब तक हुए जनता दरबारों से सम्बंधित कोई भी
सूचना न होने पर चकित हुए समाजसेवी संजय ने कहा कि जनता दरबार में आये
मामलों के अनुश्रवण की व्यवस्था के अभाव में सीएम के जनता दर्शन महज खबर
बन कर रह जायेंगे और इन दरबारों में आई फरियादें भी सूबे की नौकरशाही की
लाल-फीताशाही के मकड़जाल में उलझकर अपना दम तोड़ देंगी l
मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय ने बताया कि वे योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर
जनता दरबार में आये मामलों के अनुश्रवण की प्रभावी व्यवस्था करने और
दरबार में आये मामलों की जांच में दोषी पाए गए लोकसेवकों को दण्डित किये
जाने की प्रणाली विकसित करने की मांग भी कर रहे हैं l
संजय ने बताया कि उनको विश्वास है कि योगी उनकी मांगों पर ध्यान देकर
जनता दरबारों के आयोजनों और इनमें प्राप्त मामलों का निस्तारण अपने
गोरखपुर मॉडल के आधार पर करेंगे l