शिवपाल के करीबी दीपक मिश्र समेत सपा से 6 और निष्कासित
लखनऊ: समाजवादी पार्टी में एक तरफ मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव लगातार अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव पर हमले कर रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ अखिलेश किसी भी बयानबाजी से बचते हुए संगठन के अंदर अपने विरोधियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को संगठन से पांच लोगों को निष्कासित कर दिया गया है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अनुमति से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने हरदोई के राजेश यादव, लखनऊ के मोहम्मद शाहिद और दीपक मिश्रा के अलावा नोएडा के पूर्व महानगर अध्यक्ष राकेश यादव और नोएडा के ही युवजन सभा के महानगर अध्यक्ष कल्लू यादव को तत्काल प्रभाव से समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
इन पदाधिकारियों और पूर्व पदाधिकारियों को पार्टी विरोधी कार्यों में लिप्त होने, अनुशासनहीन आचरण करने और पार्टी के निर्देशों की अवहेलना के आरोप में पार्टी से निष्कासित किया गया है.
निष्कासन गैर-समाजवादी कृत्य: दीपक मिश्र
समाजवादी चिन्तक एवं समाजवादी चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल द्वारा किये गये निष्कासन को अलोकतांत्रिक एवं गैर-समाजवादी कृत्य बताते हुए कहा कि वे समाजवाद एवं समाजवादी कार्यकर्ताओं के हितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे। मुझे पार्टी से निकालकर सत्य, ईमानदारी, समाजवादी सिद्धांतों एवं डा० लोहिया की विरासत का मजाक बनाया गया है। अब समाजवादी पार्टी लोहिया, जे.पी. के आदर्शों पर चलने वाले जनेश्वर मिश्र, मोहन सिंह, बृजभूषण तिवारी, बाबू कपिलदेव सिंह सरीखे समाजवादियों की जगह किरणमय नन्दा, नरेश अग्रवाल सरीखे पूंजीवादी एजेंटो एवं स्वार्थी तत्वों की पार्टी बन कर रह गई है। इन्हीं भ्रष्ट तत्वों से सतत् संघर्ष की कीमत मुझे चुकानी पड़ी। 10 जुलाई 1955 में डा० लोहिया को तत्कालीन समाजवादी दल ने निकालकर जो भूल की थी वही पाप आज सपा ने मुझे और अन्य प्रतिबद्ध समाजवादियों को निकालकर किया है। मेरी आशंका है कि धीरे-धीरे सभी समाजवादियों को निष्कासित कर सपा को निरंतर कमजोर करने की साजिश में पूंजीवादी एवं साम्प्रदायिक ताकतें अपने मंसूबों में कामयाब होती जा रही हैं।
श्री मिश्र ने कहा कि उन्होंने समाजवादी आन्दोलन, विचारधारा एवं पार्टी को मजबूत करने के लिए गत 20 वर्षों से निरंतर संघर्ष किया है। समाजवाद, डा० लोहिया, भगत सिंह पर 37 पुस्तकें लिखी हैं। इन सभी योगदानों को नजर अंदाज कर मुझे दल से निकालने का मतलब “विनाशकाले विपरीत बुद्धि“ को चरितार्थ करना है। मैंने बसपा सरकार की यातनाएं सही, कई बार जेल गया किन्तु कभी भी समाजवाद के पथ से भटका नहीं। समाजवाद के लिए सतत् संघर्ष अनवरत जारी रहेगा।