गैर-ऋणी किसानों तक पहुंच के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड
लखनऊ: 2019 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत 50 फीसदी किसानों को कवर करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीमा कंपनियों और सरकार ने कई पहल शुरु किए है. 2016-17 कई गतिविधियों का वर्ष रहा है और इसका श्रेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश सरकार और विभिन्न बीमा कंपनियों को जाता है. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी के कार्यकारी निदेशक आलोक अग्रवाल कहते है कि आईसीआईसीआई लोम्बार्ड फसल बीमा योजना पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और हमने गैर-ऋणी किसानों तक पहुंच बनाने के लिए फीजिकल रीच और डिजिटल प्रौद्योगिकी उपयोग का निर्णय लिया है. उत्तर प्रदेश के 9 जिले आईसीआईसीआई लोम्बार्ड को आवंटित हुए है. यहां हम ऋणी और गैर ऋणी किसानों की अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करेंगे.
उन्होंने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने खरीफ 2016 में (ज्यादातर धान, तिल, उडद और गन्ना) पीएमएफबीवाई के तहत 412491 किसानों का बीमा किया है. वहीं खरीफ 2016 में आरडब्लूबीसीआईएस के तहत 6250 किसानों (ज्यादातर केला और मिर्च की फसल के लिए) और रबी 2016-17 के लिए 292457 किसानों का बीमा किया है. ये बीमा झांसी,श्रावस्ती, गोरखपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, शामली, कुशीनगर, फतेहपुर और फिरोजाबाद में किया गया है.
लखनऊ में 3 मई 2017 को बातचीत के दौरान श्री अग्रवाल ने हमें बताया कि आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ग्रामीण व्यवसाय में बेहद अच्छा काम कर रहा है और यह प्रधानमंत्री फसल बीमा में प्रमुख योगदानकर्ता हैं. हमें यह भी बताया गया कि उत्तर प्रदेश के अलावा यह आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, मेघालय, उड़ीसा, तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल और हरियाणा कलस्टर में फसल बीमा योजना का प्रबंधन कर रहा है.
वर्ष 2016-17 के दौरान, केंद्र सरकार की पहल के साथ-साथ राज्य सरकारों के समर्थन और विभिन्न बीमा कंपनियों की भागीदारी से हमारे देश में फसल बीमा में काफी वृद्धि हुई है. यह देखकर खुशी होती है कि एक वर्ष में ऐसा विकास हासिल किया गया है. अखिल भारतीय आधार पर, वर्ष के दौरान प्रीमियम संग्रह में 5700 करोड़ (2015-16) से बढ कर 21500 करोड़ रुपये (2016-17) हो गया. यह एक वर्ष में 277 फीसदी की वृद्धि है. श्री अग्रवाल के मुताबिक, हमारे अनुमान बताते हैं कि यह आंकड़ा 2018-19 के दौरान 23000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा और फसल बीमा भारतीय जनरल इंश्योरेंस उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा.