दिल्ली की जनता का अब आप से मोहभंग हो रहा
मृत्युंजय दीक्षित
पांच प्रांतों के विधानसभा चचुनाव परिणामांेे के बाद पूरे देशभर की निगाहें नई दिल्ली के नगर निगम चुनावों में लगी हुयी थी। आखिरकार दिल्ली की जनता ने भी पीएम मोदी व भाजपा के ेराष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नीतियों पर भरोसा करते हुए एक बार फिर दिल्ली के तीनों नगर निगमों में भाजपा को जीत दे दी है। एक माह से भी कम समय में यह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लगातार तीसरी हार है। दिल्ली के चुनाव परिणाम आने के बाद भरतीय जनता पार्टी ने इस विजय को सुकमा में शहीद हुए जवानों को समर्पित करते हुए एक शानदार उदाहरण पेश किया है। इन चुनाव परिणामों से साफ पता चल रहा है कि अब देश की जनता पीएम मोदी की विकासवादी राजनीति व सबको साथ लेकर चलने वाली राजनपीति के साथ है। देश की जनता को पीएम मोदी गरीबों केलिए जो कल्याणकारी काम कर रहे हं उनके साथ खड़ी हो गयी है। देशभर की जनता ने नकारात्मक राजनीति करने वालोे को पूरी तरह से खारिज करना शुरू कर दिया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब दिल्ल्ी की जनता ने आप से मुंह मोडन शुरू कर दिया है। अभी 11 मार्च 2017 को अरविंद केजरीवाल की पार्टी पंजाब और गोवा का चुनाव बुरी तरह से पराजित हो गयी। उसके बाद राजौरी गाडै्र्रन विधानसभा उपचुनाव में भी केजरीवाल को पराजय का मुंह देखना पड़ गया। लेकिन आम आदमी पार्टी अपनी पराजय को स्वीकार नहीं कर रहे अपितु वह अपनी पराजय का ठीकरा ईवीएम मशीनों पर ही फोडने लग गये हंै। जबकि अब समय आ गया है कि आम आदमी पार्टी अभी से आत्मचिंतन करना शुरू कर दे नहीं तो आने वाला समय उनके लिए और भी कठिन होने जा रहा है।
अभी चुनाव आयोग के पास आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों का मामला सुरक्षित है। यदि उन सभी विधायकों की सदस्यता चली जाती है तब उन पर उपचुनाव होंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व आम आदमी पाटर्ही के नेताआ के खिलाफ मानहानि के कई मामले हाइकोर्ट में चल रहे हैे। शुंगलू कमेटी की सिफारिशों पर उपराज्यपाल किसी भी समय कार्यवाही शुरू कर सकते हैे। कम से कम दो मामलों में एफ आईआर दर्ज हो चुकी है। आम आदमी पार्टी के नेता के सामने सबस बड़ी समस्या पार्टी उनके नेतृत्व के खिलाफ उठ रही आवाजों व बगावतों को लेकर है।
दिल्ली के नगर निगम चुनावों मंे आम आदमी पार्टी की भारी पराजय निश्चय ही राजनैतिक विश्लेषकों के लिए हैरान करने वाला विषय हो सकता है क्योकि किसी को इतनी भारी पराजय की उम्मीद नहीं थी। आप के लिए सबसे अधिक कष्टकारी बात है कि उसका वोट प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले करीब आधा रह गया है। तब उसके हिस्से में 53.54 फीसदी वोट आया था लेकिन अब उसके हिस्से में 25.25 फीसदी वोट ही आया है। आप उन वाडज्ञै्र में भी हार गयी है जो झुग्गी झोपड़े के लिए जाने जाते हैं झुग्गी वाले तो अरविंद केजरीवाल को अपना मसीहा मानते थे वह वहां भी बुरी तरह से पाराजित हो गये हैें। आप मुस्लिम बहुल वार्डो में भी हारी जो उसके मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों मंे आते हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के क्षेत्र पटपड़गंज के चार वार्डो में भी आप पराजित हो गयी।
इतनी जबर्दस्त पराजय के बाद भी अरविंद केजरीवाल अपना अहंकार नहीं त्यागने जा रहे हैं उनकी आप पार्टाी के प्रवक्ता टी वी चैनलों की बहसों में ईवीएम को ही दोषी मान रहे हैं। वहीं इन चुनाव परिणामों के बाद आप में बगावतों का दौर शुरू हो गया है। आप विधायक अलका लम्बा ने अपने क्षेत्र में पराजय को स्वीकार करते हुए अपना इस्तीफा देने की बात कही है। वहीं नयी दिल्ली के प्रदेश सयोंजक दिलीप पांडे ने इस्तीफा दे दिया है। आप सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा व आप सांसद भगवंत मान ने भी आप को आत्मचिंतन करने की सलाह दी है। चुनाव परिणाम आने से पहले ही आप नेता कुमार विश्वास ने भी आतमचिंतन करने की सलाद दी । अब अरविंद केजरीवाल के सामने पार्टी के अंदर बगावतों और विद्रोही स्वरों को भी थामने की आ गयी है। आम आदमी पाटी की भरी पराजय का टिवटर पर भी खूब मजाक बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया में कार्टून और व्यंग्य भरी कविताओं की बाढ़ सी आ गयी है।टिवटर पर लिखा गया,“ असर दिखा रहेे आप बुरी तरह हार रहे आप।”
टी वी चैनलों पर आम आदमी पाटी्र के नेता कह रहे हैं कि दिल्ली की जनता ने बहुत ही चांैकाने वाले अंदाज में एमसीडी में भ्रष्टाचार करने वाली पार्टी को एक बार फिर भारी बहुमत दे दिया है। आप का भाजपा पर आरोप है कि भाजपा ने नगर निगम में भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए चुनाव को राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद तथ देशभकित आदि आदि से जोड दिया और मोदी का सहारा लेकर दिल्ली की जनता को एक बार फिर गुमराह कर दिया।
लेकिन दिल्ली की जनता यह अच्छी तरह से समझ रही थी कि उन्हें कौन ठग रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसौदिया को उपमुख्यमंत्री बना दिया और फिर दिल्ली की जनससमयाओं से मुंह मोड़कर अपने आप को पाक साफ दिखाने के लिए केंद्र सरकार और पीएम मोदी के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। वह गुजरात से लेकर गोवा तक के दौरे करने लग लग गये। पंजाब व गोवा में जो हाल हुआ वह सबके सामने हैे। हर बात पर पीएम मोदी को कोसने लग गये। नोटबंदी का विरोध करके कालेधन का समर्थन करने वालों में शामिल हो गये। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिना सोचे समझे जेएनयू विवाद में कन्हैया कुमार जेसे लोंगोे का समर्थन कर दिया। वह हैदराबाद भी पहुंच गये और दादरी भी। उन्होनें दिल्ली की जनता की समस्याओं को तो नहीं दूर किया अपितु वित्तमंत्री अरूण जेतली से अवश्य उलझ गये। आज दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की नकारात्मक राजनीति को राजौरी गार्डेन विधानसभा उपचुनाव के साथ ही एक और करारा जवाब दे दिया है। समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की भारी पराजय के बाद जो बयान जारी किया है वह काबिलेकतारीफ है। आम आदमी पार्टी के नेता पहले जनता के हित की बात करते थे । लेकिन सत्ता में आने बाद सबसे अध्किा नशा उन्हीं के ऊपर सिर चढ़कर बोला। अरविंद केजरीवाल ने महंगा बंगला लिया और अपने विधायकों की सैलरी बढ़वाने के लिए असंवैधनिक तरीके से विधेयक पास करवा कर उपराज्यपाल को दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि वह अस्वीकार हो गया। आप के लोग 16 हजार की थाली में खाने लग गये। आप के विधायक सेक्स स्केंडल में पकड़े गये। आप के कई विधायकों को केवल महिलाओं के साथ छेड़खानी जैसे मामलों में पकड़ा गया। दिल्ली के कानून मंत्री की डिग्री फर्जी निकल आयी तो वह पीएम मोदी औरस्मृति ईरानी की डिग्रीयांेे के पीछे पड़ गये। अब अरविंद केजरीवाल को यदि कुछ पाना है तो उन्हें समझदारी का परिचय देना होगा नहीं तो कहीं वर्तमान विधानसभा में ही उनकी सरकार न चली जाये क्योंकि अभी 21 विधायकों का फैसल आना बाकी है। भाजपा के वर्तमान में चार विधायक उपस्थित है। नगर निगम चुनावों के वर्तमान चुनाव परिणामों के हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि आज की तारीख में दिल्ली में चुनाव हो जायें तो भाजपा को कम से कम 43 सीटांे पर विजय मिल सकती है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व आप के लोग गुजरात में भाजपा को हराने का सपना संजोये थे वह अब काफी दूर जा चुका है। अब केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी समस्या दिल्ली की सरकार को बचाकर रखना व अब बगावत को थामना है नही ंतो समस्या अब बड़ी विकट होने जा रही हैं आप के लिए।