नई दिल्ली: बाबरी विध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 12 नेताओं पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि स्पेशल कोर्ट 2 साल में मामले की सुनवाई पूरी करे. वहीं केस को रायबरेली से लखनऊ ट्रांसफर कर दिया है. जहां तक सुनवाई रायबरेली में हो गई थी, उससे आगे की सुनवाई वहां होगी. साथ ही मामले से जुड़े जजों के तबादले पर रोक लगा दी गई है. सीबीआई को आदेश दिया है कि इस मामले में रोज उनका वकील कोर्ट में मौजूद रहे.

बता दें कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मौजूदा वक्त में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पर केस नहीं चलेगा. पद पर होने की वजह से उन्हें केस से छूट दी गई है. पद से हटने के बाद उन पर केस चल सकता है.

इससे पूर्व 6 अप्रैल के आदेश को सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम इस मामले में इंसाफ़ करना चाहते हैं. महज़ टेक्निकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दे सकती और उनके खिलाफ साज़िश का ट्रायल चलना चाहिए. हम डे टू डे सुनवाई कर दो साल में सुनवाई पूरी कर सकते हैं. वहीं आडवाणी की ओर से दोबारा ट्रायल पर आपत्ति जताते हुए कहा गया था कि मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना होगा, जो काफ़ी मुश्किल है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इन नेताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश का ट्रायल चलाए जाने की मांग की थी. साथ ही साज़िश की धारा हटाने के इलाहाबाद हाइकोर्ट के फ़ैसले को रद्द किया जाना चाहिए.

1992 में बाबरी मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई थी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महज टेक्निकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दी जा सकती और इनके खिलाफ साजिश का ट्रायल चलना चाहिए.

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह क्यों न हो? कोर्ट ने पूछा था कि रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए, जहां कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है. वहीं लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया. कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है. कोर्ट को साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए.

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का ट्रायल चलना चाहिए. सीबीआई ने कहा था कि रायबरेली के कोर्ट में चल रहे मामले का भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट के साथ ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए. इलाहाबाद हाईकोर्ट के साजिश की धारा को हटाने के फैसले को रद्द किया जाए.

दरअसल आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और बीजेपी, विहिप के अन्य नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. इससे संबंधित अपीलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया . हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) हटा दी थी. पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया किसी से भी प्रभावित नहीं होती और वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाने की कार्रवाई उसके (एजेंसी के) कहने पर नहीं हुई. सीबीआई ने एक हलफनामे में कहा था कि सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र है. सभी फैसले मौजूदा कानून के आलोक में सही तथ्यों के आधार पर किए जाते हैं. किसी शख्स, निकाय या संस्था से सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया के प्रभावित होने या अदालतों में मामला लड़ने के उसके तरीके के प्रभावित होने का कोई सवाल नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की तरफ से केंद्रीय मंत्री उमा भारती और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के इस्तीफे की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है.
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने उमाभारती से इस्तीफा मांगा है. भाजपा नेता विनय कटियार का मानना है कि किसी को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है.

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वेनर ज़फरयाब जिलानी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि इसका संबंध मस्जिद बनाने से नहीं है, ये उन लोगों के ऊपर आरोप से है. अगर ये लोग साजिश में शामिल थे तो सजा होगी.

विनय कटियार

हमें इस्तीफा देने की अभी कोई ज़रूरत नहीं है, कोई शिष्टाचार नहीं है. हम चाहते हैं के राम मंदिर जल्दी बनें उसके लिए जेल जाना पड़ें तो जाएंगे. राम मंदिर के लिए हम सभी को जेल जाना पड़े तो तैयार हैं. उमा भारती को भी इस्तीफा नहीं देना चाहिए. विपक्ष की बची कुची ज़मानत भी जल्दी जब्त हो जाएगी.

जीवीएल नरसिम्हा राव (बीजेपी)

मैं कांग्रेस को याद दिलाना चाहता हूं कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी अंडर ट्रायल हैं और फिलहाल बेल पर बाहर हैं. हम कोर्ट का फैसला पढ़ेंगे और उसके बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे.

सुधींद्र कुलकर्णी

बाबरी विध्वंस मामले की मैं निंदा करता हूं लेकिन लालकृष्ण आडवाणी इस साज़िश का हिस्सा नहीं थे. उन्होंने तो इसे अपनी जिंदगी का सबसे दुःख भरा दिन बताया था.

सलमान अनीस सोज़ (कांग्रेस)

उमा भारती और कल्याण सिंह को अपने पद की गरिमा रखते हुए इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. पीएम और राष्ट्रपति को इसके बारे में सोचना चाहिए.

फैजाबाद के इमाम

बिल्कुल केस चलना चाहिए, अगर कोई आरोपी है तो उसे छोड़ा नहीं जा सकता है फिर वो किसी भी पद पर हो, ऐसे होगा तो लोग जुल्म करके पद पर बैठ जाएं, कानून सभी के लिए बाराबर है. संविधान में जो कुछ लिखा है फैसला उसके आधार पर फैसला आएगा और हम उसे स्वीकार करते हैं. बातचीत से मसले को सुलझाया जा सकता है.