श्रीनगर-बड़गाम लोकसभा उपचुनाव में फारूक अब्दुल्ला की भारी जीत
नई दिल्ली: शनिवार को श्रीनगर-बड़गाम लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला भारी मतों से जीत गए हैं। आज सुबह आठ बजे वोटों की गिनती चालू हुई थी। शुरुआती रुझानों में अब्दुल्ला आगे चल रहे थे। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी पीडीपी के नेता नजीर खान को शिकस्त दी। 62,905 वोटों में से अब्दुल्ला ने 35,370 वोट हासिल किए तो खान को 24,879 वोट ही मिले। श्रीनगर में 12,61,862 मतदाता हैं, जिनमें से कुल 62,905 लोगों ने ही वोट डाला।
पिछले हफ्ते संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनावों में हिंसा और कुल 7 प्रतिशत वोटिंग देखी गई थी। जब गुरुवार को दूसरी बार वोटिंग हुई तो कुल 2 प्रतिशत मतदाताओं ने ही वोट दिया था, जो जम्मू-कश्मीर के इतिहास में सबसे कम है। 35,169 मतदाताओं में से कुल 702 ने ही वोट डाला था। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में अब्दुल्ला (79) पीडीपी के तारिक हमीद कर्रा के हाथों चुनाव हार गए थे। इसके बाद जब कर्रा ने पीडीपी और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया तो यह सीट खाली हो गई थी।
बता दें कि 9 अप्रैल को श्रीनगर उपचुनावों में काफी हिंसा हुई थी। 8 लोग पुलिस फायरिंग में मारे गए थे और अधिकारियों के अनुसार हिंसा में 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस गोलीबारी में कई नागरिक भी घायल हो गए थे। जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शांतमनु ने बताया था कि इस संसदीय सीट पर महज 7 फीसदी मतदान हुआ था। उन्होंने कहा था, ‘‘मैं फिलहाल पुनर्मतदान के बारे में कुछ नहीं कह सकता। यह आंकड़ा करीब 50 या 100 या उससे अधिक मतदान केंद्र हो सकता है।’’ जम्मू कश्मीर में चरारे शरीफ के पखेरपोरा और बड़गाम जिले के बीरवाह और छदूरा में दो दो लोगों की मौत हुई थी। बड़गाम जिले में ही मैगाम में एक व्यक्ति की हिंसा में जान चली गई थी।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली सरकार की सुचारू ढंग से चुनाव कराने में पूरी तरह विफल रहने को लेकर आलोचना की थी। वहीं निर्वाचन आयोग और गृह मंत्रालय के बीच भी वाक्य युद्ध हुआ था और मंत्रालय ने कहा था कि चुनाव के लिए माहौल अनुकूल नहीं होने की उसकी सलाह को ‘नजरअंदाज’ किया गया। इस पर निर्वाचन आयोग ने पलटवार करते हुए कहा था कि वह कोई चुनाव कराने से पहले केंद्र सरकार से मशविरा करने के लिए बाध्य नहीं है।