आयुर्वेद, यूनानी मेडिकल प्रैक्टिस करने वाले निजी डॉक्टरों व प्रतिष्ठानों का पंजीकरण अनिवार्य: डा0 शिव शंकर त्रिपाठी
लखनऊ: जनपद में चिकित्साभ्यास कर रहे आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक जो आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड से पंजीकृत हैं और वे चिकित्सा अभ्यास जनपद लखनऊ की सीमा के अन्तर्गत कर रहे हंै वे अपना पंजीकरण क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एव यूनानी अधिकारी लखनऊ के कार्यालय में 20.04.2017 तक अवश्य रूप से करा लें। इसके उपरान्त इस कार्यालय में पंजीकृत कराये बिना जो भी आयुर्वेदिक एव यूनानी चिकित्सक/प्रतिष्ठान अभ्यास करते हुये पायें जायेंगे उनके विरूद्व एक्ट में निहित प्राविधानों के तहत कड़ी कार्यवाही की जायेगी। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, लखनऊ डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि यह भी संज्ञान में आया है कि तमाम चिकित्सक ऐसे हैं जो प्रदेश के बाहर से या अन्य जिले से आकर होटल या धर्मशाला में बैठकर आयुर्वेद/यूनानी पद्वति से रोगियों का इलाज करते हैं तो उन्हें भी अब इस कार्यालय में बिना पंजीकरण कराये चिकित्साभ्यास की अनुमति नहीं दी जायेगी। जगह-जगह सड़क के किनारे तम्बू लगाकर खानदानी एवं अनेको नाम से आयुर्वेद/यूनानी दवाखाना चलाने वालों के पंजीकरण की भी जाँच की जाएगी। यदि वे अवैध डिग्री या डिप्लोमा एवं बिना रजिस्ट्रेशन के अनियमित ढंग से चिकित्साभ्यास करते हुए पाये जाते हैं तो उनके विरूद्ध भी कठोर कार्यवाही की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के क्रम में उ0प्र0 शासन के आदेश सं0-1297/71-आयुष-1-2016-डब्लू-283/2014, लखनऊ 03.08.2016 के द्वारा प्रदेश के समस्त आयुर्वेदिक एवं यूनानी पद्वति के कोई भी निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान/चिकित्सक, चिकित्सा कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व जनपद के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, कार्यालय में अपना पंजीकरण आवश्यक रूप से करायेंगे। एतएव उपरोक्त आदेश के अनुपालन में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एव यूनानी अधिकारी, लखनऊ द्वारा दिनांक 09.08.2016 को दैनिक समाचार पत्रों विज्ञप्ति का प्रकाशन कराकर यह सूचित किया गया था कि यदि कोई भी आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक, निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान/चिकित्सीय कार्य कर रहें है अथवा प्रारम्भ करना है तो विज्ञप्ति के प्रकाशन के दो माह के अन्दर पंजीकरण हेतु आवेदन के लिए निर्धारित प्रारूप कार्यालय से प्राप्त कर प्रस्तुत करें, किन्तु अभी तक इस कार्यालय को लगभग 80 आवेदन ही प्राप्त हुये हैं, जबकि आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड (पूर्व नाम-भारतीय चिकित्सा परिषद) उ0प्र0 लखनऊ में लगभग 3500 चिकित्सक जनपद लखनऊ में चिकित्साभ्यास हेतु पंजीकृत है।
डाॅ0 त्रिपाठी ने बताया कि फर्जी बी0ए0एम0एस0 व बी0यू0एम0एस0 डिग्री लिखकर चिकित्सा अभ्यास करने वालों के विरूद्व यू0पी0मेडिसिन एक्ट-1939 की धारा-33 के प्राविधानानुसार कार्यवाही करने हेतु रजिस्ट्रार आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड उ0प्र0 लखनऊ द्वारा दिनांक 15.11.2016 को प्रदेश के समस्त जिलाधिकारी, समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक एवं समस्त क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एव यूनानी अधिकारी को पत्र लिखकर यह तथ्य संज्ञान में लाने हेतु निर्देश जारी किये हैं कि प्रदेश में अधिकांश ऐसे चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति से चिकित्साभ्यास किया जा रहा है जिनके नाम की प्रविष्टि राज्य रजिस्टर में वैद्य/हकीम के रूप में नहीं है ऐसे लोग अपने नाम के आगे फर्जी ढंग से बी0ए0एम0एस0 व बी0यू0एम0एस0 की उपाधि लिखकर चिकित्सा अभ्यास कर रहे हैं। कुछ चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेदिक तथा यूनानी डिग्री एवं फर्जी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्रों का भी प्रयोग किया जा रहा है। प्राप्त शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुये बोर्ड द्वारा ऐसे चिकित्सकों के विरूद्व यू0पी0मेडिसिन एक्ट-1939 की धारा-33 के अधीन कार्यवाही करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।