90 फीसदी से अधिक भारतीय क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता कंजर्वेटिव और क्रेडिट के प्रति जागरूक हैं
लगभग 92 फीसदी भारतीय क्रेडिट कार्ड धारक अक्सर अपने मासिक क्रेडिट कार्ड बिल के न्यूनतम ड्यू से अधिक राशि का भुगतान करते हैं. इसके अलावा, यह अनुमान है कि दस क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं में से नौ इस बात से अवगत हैं कि क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान में देरी या नॉन-पेमेंट नकारात्मक रूप से उनके सिबिल स्कोर और रिपोर्ट पर असर डालता है. ये ट्रांसयूनीयन सिबिल के नवीनतम शोध से निकले कुछ प्रमुख निष्कर्ष हैं. यह भारत के 8 महानगरों में किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है. यह शोध, ट्रान्सयूनीयन सिबिल द्वारा उपभोक्ता ऋण व्यवहार को भ्रमित करने और क्रेडिट फैसले के ट्रेंडेड आंकड़ों के महत्व को उजागर करते रहने के निरंतर प्रयास का हिस्सा है.
इस शोध के निष्कर्ष के बारे में बोलते हुए ट्रांसयूनीयन सिबिल की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुश्री हर्षला चंदोरकर ने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण का निष्कर्ष ट्रांसयूनीयन सिबिल रिसर्च इंसाइट के अनुरूप हैं. दीर्घकालिक भुगतान व्यवहार पर किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि जो उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड के न्यूनतम भुगतान की तुलना में अधिक भुगतान करते है उनके ग्राहक अपराधी बनने की संभावना कम हैं. क्रेडिट कार्ड भुगतान व्यवहार का व्यक्ति के समग्र क्रेडिट प्रदर्शन पर असर पड़ता है और क्रेडिट निर्णय लेने के लिए गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है. ट्रेंडेड आंकड़ों से प्राप्त निष्कर्ष से उधारकर्ताओं को जोखिम आकलन करने में मदद मिलती है और खुदरा उधार पोर्टफोलियो में कम जोखिम प्रोफाइल वाले उपभोक्ता को उच्च अवसर प्रदान करते हैं.
यह अवलोकन कि ऐसे उपभोक्ता जो अक्सर अपने न्यूनतम ड्यू से अधिक भुगतान करते हैं, कम जोखिम में रहते है. यह एक सार्वभौमिक क्रेडिट व्यवहार प्रतीत होता है. ट्रान्सयूनियन ने वैश्विक बाजारों में भी समान शोध किए है और इसी निष्कर्ष पर पहुंचा है. विशेष रूप से, वैश्विक शोध ने यह भी निर्धारित किया है कि जो उपभोक्ताओं क्रेडिट कार्ड के न्यूनतम ड्यू से अधिक भुगतान करते है वे कम से कम ग्राहक अपराधी बनते है. ट्रेंडेड डेटा से प्राप्त ऐसे निष्कर्ष ऋणदाता को बेहतर तरीक से अकाउंट रिस्क को कम करने व उपभोक्ता के अवसरों को अधिकतम करने में मदद करते है.
ट्रेंडेड आंकड़ों की अवधारणा को समझाते हुए सुश्री चांदोरकर ने कहा कि पारंपरिक क्रेडिट रिपोर्ट में समय-समय पर एक उपभोक्ता की झलक दिखती है, जबकि ट्रेंडेड डेटाएनालिसिस 36 माह की ऐतिहासिक जानकारी देती है. इस अवधि के दौरान डेटा के प्रत्येक अंक एक दूसरे के साथ कैसे संपर्क में आते है, क्रेडिट व्यवहार में आगे इनसाइट प्रदान करते है. पहले इस पैमाने पर ऐसा संभव नहीं था. उदाहरण के लिए, पारंपरिक सिबिल रिपोर्ट बताती थी कि उपभोक्ता के पास 30000 क्रेडिट कार्ड ऋण है. जबकि, ट्रेंड किए गए डेटा का इस्तेमाल दिखाता है कि क्या उन्होंने समय के भुगतान किया है?