नोटबंदी के बाद इट्जकैश अपने 100,000 पीओएस टर्मिनल्स लगायेगा
अब इट्जकैश के प्वाइंट-आॅफ-सेल मशीन के जरिए आप अपने पास की किराने की दुकान पर पैसे का भुगतान कर सकते हैं, लेन-देन कर सकते हैं और पैसा निकाल सकते हैं। डिजिटल भुगतान जगत में भारत के अग्रणी और प्रीपेड कार इंडस्ट्री में प्रमुख स्थान रखने वाले, इट्जकैश ने अपने प्वाइंट-आॅफ-स्केल टर्मिनल्स में और अधिक निवेश कर इसे बढ़ाने की आज घोषणा की। इस नये कदम से पीओएस खण्ड में कंपनी की मौजूदगी मजबूत हुई है और विमुद्रीकरण के बाद के शुरूआती तीन महीनों में 30,000 यूनिट्स लग चुकी हैं। संभवतः, इससे 1 लाख छोटे मर्चेंट्स और दुकानदारों को डिजिटल तरीके से भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाया जा सकेगा और अर्द्धशहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए इसे सुविधाजनक बनाया जा सकेगा।
यह उपकरण क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, प्रीपेड कार्ड सहित किसी भी कार्ड और एम-वैलेट केक जरिए किया गया भुगतान स्वीकार करता है। इसकी मदद से ग्राहक नकद पैसा दे सकते हैं और अपने खर्चों के भुगतान के लिए तत्काल ईएमआई विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं। जिन मर्चेंट्स के यहां इट्जकैश पीओएस टर्मिनल है, वे कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए 25,000 रु. का पूर्व-अनुमोदित ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं।
जो कंपनी पहले से ही डिजिटल वैलेट्स व प्रीपेड कार्ड्स उपलब्ध कराती है, उनके लिए पीओएस वर्टिकल अपना पेमेंट इकोसिस्टम मजबूत बनायेगा और ग्राहकों के लिए अधिक सुविधाजनक एवं सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हो सकेंगे। यह रणनीतिक पहल कंपनी की ओम्नीचैनल रणनीति के अनुरूप है जिसके आधार पर अगले वर्ष 60 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि का कंपनी ने लक्ष्य रखा है।
विमुद्रीकरण और डिजिटल ट्रांजेक्शन पर जोर ने लेस-कैश इंडिया को समर्थन देने के उद्देश्य से टिकाऊ भुगतान ढांचा हासिल करने के लिए व्यवसायों हेतु भारी मांग पैदा
की। इट्जकैश की व्यापक पहुंच और विशाल नेटवर्क से इन छोटे-छोटे मर्चेंट्स और व्यवसायों को तीव्रता से मदद मिली, जिनके पास इस तरह की सुविधा नहीं थी।
इट्जकैश के मुख्य व्यवसाय अधिकारी, श्री रवि सिंह ने कहा, ‘‘पहले अनेक छोटे मर्चेंट्स ग्राहकों से प्लास्टिक मनी का उपयोग कर पैसा लेने से मना कर देते थे। हालांकि, विमुद्रीकरण के बाद, हमने डिजिटल भुगतान अभियान के प्रति परंपरागत ब्रिक और मोर्टार रिटेल मर्चेंट्स के व्यवहार में काफी परिवर्तन देखा है। आगे, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, हमारे पास मात्र 1.5 मिलियन पीओएस मशीनें ही हैं, जो पीओएस भुगतान खण्ड में मौजूद भारी अवसर का संकेत देती है।’’