इलाहाबाद उच्च न्यायालय देश में न्याय का बड़ा मंदिर: मुख्यमंत्री
इलाहाबाद: गरीबों, शोषितों, वंचितों और महिलाओं को सर्वसुलभ न्याय दिलाने में इलाहाबाद उच्च न्यायालय सहित अधीनस्थ न्यायालयों की बहुत बड़ी भूमिका है। न्यायालयों में उच्च तकनीकी और अवस्थापना सुविधाओं को उपलब्ध कराने में प्रदेश सरकार हर सम्भव मदद करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज इलाहाबाद में उच्च न्यायालय के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक चलने वाले समारोह के समापन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि 14वें वित्त आयोग ने न्यायिक व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से समस्त राज्यों के लिए कुल 9748 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने की अनुसंशा की है। इस राशि में से 915 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश के लिए इंगित हैं, जिसमें से 488 करोड़ रुपए केवल फास्ट ट्रैक कोर्ट जघन्य अपराध, वरिष्ठ नागरिक, महिला, बच्चों एवं दिव्यांगों के लिए रखे गए हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री जे0एस0 खेहर ने अपने उद्बोधन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की न्याय के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस उच्च न्यायालय ने भारत को 05 मुख्य न्यायाधीश दिए हैं। प्रधानमंत्री के नव भारत के संकल्प के साथ मन की बात की चर्चा करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने न्यायालयांे में बड़ी संख्या में लम्बित वादों पर अपने बात रखते हुए कहा कि यदि सर्वाेच्च न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायमूर्तिगण कम से कम 5-10 दिन का समय निकालते हुए लम्बित मामलों को सूचीबद्ध कर निस्तारण की कार्य योजना बना लें, तो निश्चित रूप से अकेले सर्वोच्च न्यायालय के 80-85 जज अपनी इस छोटी से सैक्रिफाइस से लम्बित वादों के बोझ को कम कर सकते हैं।
श्री खेहर ने इस दिशा में ‘टर्निंग प्वाइण्ट या डिसाइडिंग मूवमेन्ट‘ की चर्चा करते हुए कहा है कि अब समय आ गया है कि हम लोग इस दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से भी इस दिशा में वादों के लम्बित फेहरिस्त को कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय में इस दिशा में आगे बढ़ते हुए ई-काॅन्स्टीट्यूशन बेंच की स्थापना की गई है। इस अवसर पर न्यायिक इतिहास में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना के-1866 से 100 वर्ष यानि 1966 के अवसर पर प्रकाशित पुस्तक का मुख्य न्यायाधीश ने विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री श्रीयोगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, केन्द्रीय कानून मंत्री, राज्यपाल राम नाईक, मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोसले, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व अन्य न्यायमूर्तिगणांे का प्रदेश सरकार की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र पर जब-जब संकट आया है, तब-तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उच्च मानदण्डों की स्थापना करने के साथ लोकतंत्र की रक्षा की है।
कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, सर्वाेच्च न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, अन्य उच्च न्यायालयों के वर्तमान एवं भूतपूर्व न्यायमूर्तिगणों सहित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्तागण उपस्थित थे। कार्यक्रम के समापन पर अभ्यागत अतिथियों के प्रति आभार प्रदर्शन उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ के वर्ष भर के आयोजनों के अध्यक्ष न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने किया।