नई दिल्ली: 1984 के सिख विरोधी दंगों में सीबीआई द्वारा क्लीनचिट पाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगदीश टाइटलर ने लाइव डिटेक्शन टेस्ट कराने से इंकार कर दिया है। टाइटलर के वकील उनकी ओर से दलील देते हुए कहा कि वे लाइव डिटेक्शन टेस्ट देने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि यह प्रक्रिया क्रूरता वाली है। टाइटलर के वकील का यह भी कहना है कि सीबीआई ने उन्हें ऐसे टेस्ट करने का कोई विशेष कारण नहीं दिया है, लिहाजा इस मामले से संबंधित जांच एजेंसी की अर्जी कानून का पूरी तरह से दुरपयोग माना जाएगा। गौरतलब है कि फरवरी में दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर का लाई डिटेक्शन टेस्ट यानी झूठ पकड़ने वाला टेस्ट करने की सीबीआई की मांग पर उन्हें पेश होने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने टाइटलर के अलावा हथियार कारोबारी अभिषेक वर्मा पर भी यह परीक्षण करने की मांग की थी।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सीबीआई की इस मांग पर टाइटलर और वर्मा को शुक्रवार (10 फरवरी) को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। आपको बता दें कि यह मामला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के अगले दिन एक नवंबर, 1984 को उत्तरी दिल्ली में गुरुद्वारा पुलबंगश में तीन लोगों की हत्या से जुड़ा है। इस मामले में सीबीआई टाइटलर को तीन बार क्लीन चिट दे चुकी है लेकिन जांच एजेंसी को अदालत ने इसकी और जांच करने का निर्देश दिया था।

सीबीआई ने अपनी अर्जी में कहा, ‘आगे की जांच के लिए अभिषेक वर्मा और जगदीश टाइटलर पर पोलीग्राफ टेस्ट (झूठ पकड़ने वाला परीक्षण) करने की जरूरत है।’ यह कदम अदालत ने चार दिसंबर, 2015 के आदेश के अंतर्गत आया है। अदालत ने कहा था कि यदि जरूरत पड़ी तो लाई डिटेक्शन टेस्ट कराया जा सकता है। अर्जी में कहा गया है, ‘पोलीग्राफ टेस्ट के बारे में अभिषेक वर्मा और जगदीश टाइटलर की सहमति हासिल करने के सिलसिले में इस अदालत के सामने इन दोनों की उपस्थिति आवश्यक है।’ अर्जी में दोनों को अदालत के सामने पेश होने के लिए अदालत से निर्देश जारी करने की मांग की गयी थी।