भाजपा की विजय यात्रा रोक पाना संभव नहीं: राजनाथ
लखनऊ: देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिस्म का पानी बहाकर न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि देश भर में पार्टी की प्रतिष्ठा स्थापित की है। वर्ष 2014 से शुरू भाजपा के विजय का सिलसिला कार्यकर्ताओं के अथक प्रयास का फल है। यहां रविवार को लखनऊ पूर्व के कार्यकर्ता सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस बार का चुनाव अद्भुत था। देश-दुनिया के विश्लेषकों कह रहे थे कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आ रही है, लेकिन बहुमत नहीं मिलेगा। इन विश्लेषकों के आंकलनों को झुठलाते हुए प्रदेश की जनता ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में प्रचंड जनादेश दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय भ्रमण और जनता से संवाद के दौरान ये राजनीतिक विश्लेषक जनता का मिजाज नहीं समझ पाए। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, उनमें से चार में भाजपा की सरकार बनी है। उन्होंने मणिपुर में भाजपा की विजय का उल्लेख करते हुए कहा कि जब वे राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब मणिपुर जाते थे और उन्होंने तब कल्पना नहीं की थी कि इस राज्य में कभी भाजपा की सरकार होगी। क्योंकि मणिपुर में उग्रवादी तत्वों के अलावा अन्य ताकतों का प्रभाव था। लेकिन वहां भी इस बार चुनाव में कमल खिला। उन्होंने कहा कि 1984 में भाजपा ने लोकसभा की दो सीटें जीती थीं। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद में भाजपा की खिल्ली उड़ाते हुए कहा था कि केवल दो सांसद ही रहेंगे। देश की जनता ने राजीव गांधी की इस खिल्ली का जवाब दिया और आज की स्थिति यह है कि विश£ेषक मानने लगे हैं आगे जहां भी चुनाव होंगे, भाजपा के विजय को कोई रोक नहीं पाएगा। अब पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण का कोई ऐसा कोना नहीं बचा है, जहां से भाजपा अछूती हो।
श्री सिंह ने कहा कि चुनाव के बाद सभी कार्यकर्ताओं को मंत्री या पद दे पाना संभव नहीं होता है। लेकिन मंत्री व पदाधिकारी कार्यकर्ताओं का सम्मान व स्वाभिमान पर चोट नहीं पहुंचने देंगे। कम नहीं होने देना है। उन्होंने कहा कि लखनऊ से बहुत सारे मंत्री बने हैं। ये सारे मंत्री व जनप्रतिनिधि कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर विकास करेंगे और जनता की समस्याएं हल करेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा कि चुनाव के दौरान कई कार्यकर्ता जन प्रतिनिधियों से नाराज हो जाते हैं और प्रतिक्रिया देने लगते हैं। कार्यकर्ताओं को इससे बचना चाहिए और मंत्रियों व जनप्रतिनिधियों की व्यवस्तताओं को समझना चाहिए।