विक्रमादित्य से योग्यादित्य!
योगीराज का लाॅगइन ‘विकास’ है तो पासवर्ड ‘हिंदुत्व’।
भारतवर्ष के सबसे बड़े प्रान्त उत्तर प्रदेश में अव ‘योगी आदित्य’ यानी
यण् सन्धि करने पर ‘योग्यादित्य’ राज आ गया है। तमाम संदेहों व विभ्रम के
मकड़जाल में नकारात्मक सोच चिन्तनीय है। जबकि वास्तविकता में त्रेतायुग के
रामराज्य के बाद न्यायप्रिय सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन के ही क्रम
में ‘योग्यादित्यराज’ होगा, क्योंकि तीनों कालखण्डों की परिस्थितियां एक
जैसी हैं। कदाचार की पराकाष्टा के बाद सदाचार का प्राकट्य स्वाभाविक
प्रक्रिया प्रतीत होती है।
उज्जैन के राजा गन्धर्वसैन के तीन संतानों में सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती,
उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य। मैनावती की शादी
धारानगरी के राजा पदमसैन के पुत्र गोपीचन्द से हुई, गोपीचन्द तपस्या करने
जंगलों में गए, तो मैनावती ने भी गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले
ली। उस समय उज्जैन के राजा भृर्तहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ
जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए। राजपाट
अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया, वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू
गोरक्षनाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के
कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है। भारत में तब
सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे।
रामायण और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी
खोज करवा कर स्थापित किया। विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन
धर्म को बचाया। गौर से देखें थे विक्रमादित्य और आज के ‘योग्यादित्य’ के
समय की परिस्थितियां एक जैसी हैं – सनातन (हिन्दू) संस्कृति खतरें में
है, विक्रम ने गुरू गोरक्षनाथ जी से गुरू दीक्षा लीथी तो योगी आदित्य भी
गोरक्षनाथ परम्परा के योगी अवेद्यनाथ से दीक्षित हुए।
महाराज विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक
तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा
जाता है। विक्रमादित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के
वजन से खरीदते थे। भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमादित्य काल में
सोने की सिक्के चलते थे। हिन्दू कैलंडर भी विक्रमादित्य का स्थापित किया
हुआ है। 28 मार्च 2017 को विक्रम संवत 2074 शुरू हो रहा है, निसंदेह यह
योगी का प्रथम संवत होगा। विक्रमादित्य की भांति योग्यादित्य राज का
लाॅगइन ‘विकास’ है और पासवर्ड ‘हिंदुत्व’ है। बीजेपी की राजनीति में ये
कोई नई बात नहीं है। वे विकास की बात जरूर करते हैं और ये थोड़ा बहुत होता
भी है, लेकिन उनका पूरा अस्तित्व हिंदुत्व के मुद्दे पर टिका है। दरअसल,
यूपी के आम लोगों ने नरेंद्र मोदी को उम्मीद से वोट किया है। जो लोग
मुलायम, मायावती और अखिलेश की राजनीति से ऊब चुके हैं, उन्होंने मोदी के
जरिए विकास का सपना देखा है। यही योगी आदित्य नाथ के साम्राज्य को
विक्रमादित्य के बाद का स्वर्णिम काल सिद्ध करेंगा। – देवेश शास्त्री