सपा-बसपा में मतगणना के बाद चल रही जयचन्दों की तलाश
आसिफ मिर्जा
सुलतानपुर। प्रदेश भर में मतगणना के बाद सपा और बसपा सूपड़ा ही साफ हो गया। यहां पर अब करारी हार का मंथन चल रहा है। पार्टी की हार के पीछे जयचन्दोें की भी भूमिका अहम रही है। दावा किया जा रहा है कि यही जयचन्द अपनी पार्टियों की खूबिया बताने के बजाय वह प्रत्यासी को हराने की जुगत लगा रहे थे। हालाकि सपा और बसपा इसका मंथन करने में जुट गयी है। माना जा रहा है कि ऐसी गद्दारों को पार्टी हाई कमान सजा जरूर देगी।
इसौली विधानसभा में बसपा के स्टार प्रचारक अफजल अंसारी की जनसभा के बाद बसपा प्रत्यासी की लहर बढ़ गयी थी। सुप्रीमों मायावती की जन सभा ने सोने पर सुहागा कर दिया। लेकिन यहां जयचंदो ने अपना काम किया। सूत्रों के मुताबिक जिला इकाई का पदाधिकारी एक बाहुबली को प्रत्यासी बनाना चाह रहा था। मंशा पूरी नही हुई। जिससे नाराज होकर इस पदाधिकारी ने घात करना शुरू कर दिया। नतीजा यह रहा कि बसपा प्रत्यासी चैथे नम्बर पर पहुंच गए। कुछ यही हाल सपा प्रत्यासी के साथ भी हुआ। जयचंदों ने सपा का वोंट दूसरी पार्टी में ट्रांसफर कराने के लिए कोई कसर नही छोड़ी। सुलतानपुर विधानसभा में भी जयचंदों की कमी नही रही। सुत्रों का दावा है कि सपा प्रत्यासी को हराने के लिए अपने ही पार्टी के कुछ पदाधिकारियांे ने पूरा जोर लगा दिया था। सपा को हराने के लिए चोरी छुपे भ्रामक प्रचार भी किए गए। बसपा को हराने के लिए इसौली में अहम भूमिका निभाने वाले पदाधिकारी ने कोई दिलचस्पी नही दिखायी। जयचंदों का सबसे ज्यादा नंगा नाच सदर विधानसभा में हुआ। यहां पर 5 साल तक सपा झंडा लगाकर रौब गाठने वाले कुछ नेताओं ने भगवा चोला ओढ़ लिया। बसपायी कहने वाले भी केशरी रंग में सरोबार हो गए। कामोवेश यही हाल कादीपुर, लंभुआ विधानसभा में रहा। सूत्रों का दावा है कि ऐसे जयचंदो की तलाश सपा और बसपा कर लेगी। जिनके खिलाफ कार्यवाही तय मानी जा रही है।
कांग्रेस ने दिया साथ
सपा का साथ कांग्रेसियो ने खूब निभाया। कांगे्रसी नेता रणजीत सिंह सलूजा, इकरार अहमद इदरीसी, महेश अस्थाना, अफसर की टीम सुबह निकल जाती और गठबधन प्रत्यासी को जिताने के लिए कडी मेहनत करते। यह टीम देर रात लौट कर शहर के बस स्टाप पर आराम करती और लोगों को सपा और कांग्रेस की खूबिया भी बताती।
ईवीएम पर जताया जा रहा संदेह
सपा और बसपा की लहर के बावजूद भी मुस्लिम क्षेत्रों में भाजपा को अप्रत्याशित वोंट मिलने पर लोगों में ईवीएम के प्रति संदेह पैदा हो गया है। शोसल मीडिया पर भी पोस्ट आ रहें हैं कि चुनाव रद्द कर बैलेट पेपर से दोबारा चुनाव करायंे जाएं हालाकि मायावती और अखिलेश के बयान को कि ईवीएम की जाँच हो, को सही ठहराया जा रहा है।