लखनऊ: जितना काम तुमने कल किया था, उससे अधिक और कठिन काम आज करो. इस सरल सिद्धांत ने संगीता चावला को खुद का यूरोकिड्स उद्यम शुरू कर शिक्षण कार्य के अपने जुनून को शुरू करने के लिए प्रेरित किया. ये उद्यम उनके पेशेवर पहचान को स्थापित करने और समाज में खुद की एक छाप बनाने की उनकी जरूरत के आधार पर था.
एक गृहिणी से उद्यमी में संगीता का परिवर्तन वास्तव में जादुई रहा और यह बहुत ही निचले स्तर से समाज में एक अंतर बना रहा है.
यूरोकिड्स के साथ संगीता का जुडाव तब हुआ था जब उनकी बेटी लखनऊ में यूरोकिड्स फ्रेंचाइजी से पढ़ाई कर रही थी. एक ऐसी शिक्षण संस्था जो पेशेवर होने के साथ ही घरेलू ढंग से शिक्षा प्रदान करे, की स्थापना करने के अपने प्रयास में संगीता को यूरोकिड्स टीम से बहुमूल्य मदद मिली. इस मदद के सहारे उन्होंने यूरोकिड्स फ्रेंचाइजी की शुरुआत की आज उनकी फ्रेंचाइजी न सिर्फ माता पिता के बीच प्रतिष्ठित है, बल्कि इसे समूह द्वारा पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है.
संगीता कहती है कि मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि मेरा परिवर्तन एक गृहिणी से एक उद्यमी के रूप में हुआ. अलग काम करने का जुनून और उत्साह ही मुझे अलग बनाता है और मुझे इनाम दे रहा है. यूरोकिड्स मेरे साथ खड़ा था और इसने मुझे प्रीस्कूल चलाने के लिए आवश्यक व्यावसायिक कौशल प्रदान करने में मदद की.
यूरोकिड्स की प्री-स्कूल नेटवर्क ने 900 से अधिक उद्यमियों को एक लंबी अवधि के सफल व्यापार के लिए सक्षम बनाया है, जिनमें से 80 फीसदी महिलाएं हैं.