बिहार के लिए खोखली साबित हुईं पीएम मोदी की घोषणाएं
मिला पैकेज का एक भी रुपया, RTI से हुआ खुलासा
पटना: सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए एक प्रश्न के जबाव में यह खुलासा हुआ है कि मोदी ने अक्टूबर 2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान बिहार को 1.25 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने का वादा किया था, जिसके मिलने का आज भी इंतजार हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने जब पैकेज की घोषणा की थी तो उस काफी विवाद हुआ था. कई जानकारों ने तो इसे बिहार चुनाव के लिए मोदी का ट्रंप कार्ड कहा था. हालांकि बीजेपी को इसका फायदा नहीं मिला और उसे बिहार चुनाव में पराजय का मुंह देखना पड़ा था. मजेदार बात यह है कि केंद्र की ओर से वित्त वर्ष 2017-18 के लिए पेश किए गए आम बजट में भी इसको लेकर कही कोई जिक्र नहीं किया गया है.
मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिसंबर 2016 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मोदी द्वारा विभिन्न राज्यों को दिए गए वित्तीय सहायता या डेवलपमेंट पैकेज के आश्वासन के बारे में जानकारी मांगी थी. उन्होंने यह भी पूछा कि जो आश्वासन दिए गए थे, उनमें से अभी तक कितना पूरा किया गया है.
हालांकि, वित्त मंत्रालय के उप निदेशक आनंद परमार ने इस आरटीआई का सीधा उत्तर देने की बजाए गोलमोल जवाब देकर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की. गलगली ने कहा, "18 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री ने बिहार के लिए 1,25,003 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की थी. लेकिन, परमार के संक्षिप्त उत्तर में कहा गया है कि 'परियोजनाओं/कार्यों को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा', हालांकि आज तक कोई पैसा जारी नहीं किया गया है."
गलगली ने कहा, "यह शर्मनाक है कि बिहार को यह आश्वासन किसी और ने नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री ने दिया था. लेकिन, डेढ़ साल गुजरने के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई."
गलगली ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "सत्ताधारी भाजपा द्वारा 125 करोड़ भारतीय आबादी को इतने सारे 'जुमले' दिखाए गए हैं. लेकिन, सरकार के अपने आंकड़े उनके बड़े-बड़े दावों को झुठलाते हैं, इसलिए उन्हें गंभीरता से कैसे लिया जा सकता है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर, 2015 में विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अपने खास अंदाज में कहा था, बिहार के लिए 70 हजार, 80 हजार, 90 हजार करोड़ दूं या ज्यादा दूं. चलो सवा लाख करोड़ देता हूं. हालांकि पीएम मोदी की ओर से किये गये इस घोषणा के तरीके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत अन्य दलों के नेताओं ने गंभीर सवाल उठाए थे.