राज्यपाल में पुस्तक ‘नीला चांद’ का विमोचन किया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज जयशंकर प्रसाद सभागार, कैसरबाग में सुहैल काकोरवी की पुस्तक नीला चांद का विमोचन किया। पुस्तक नीला चांद में मुहावरों को हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में प्रयोग करते हुये प्रस्तुत किया गया है। कार्यक्रम का आयोजन अदबी संस्थान, लखनऊ द्वारा किया गया था। इस अवसर पर संस्कृति सचिव डाॅ0 हरिओम, प्रो0 शारिब रूदौलवी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो0 शाफे किदवाई, अदबी संस्थान के अध्यक्ष श्री तरूण प्रकाश सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे। राज्यपाल ने सुहेल काकोरवी को सम्बोधित करते हुये कहा कि वे काकोरी से आते हैं जहाँ स्वतंत्रता के दीवानों का मंदिर स्थापित है। राज्यपाल ने कहा कि लखनऊ आने पर उन्होंने सबसे पहले काकोरी के शहीद स्मारक में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया था।
राज्यपाल ने विमोचन के पश्चात अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि पुस्तक के लेखक बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने अपनी पुस्तक तीन भाषाओं में प्रकाशित की है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उसका लाभ उठा सकें। पुस्तक की विशेषता है कि लेखक ने अपनी पुस्तक प्रसिद्ध उर्दू शायर मिर्जा गालिब को समर्पित की है जो उर्दू शायरी की मान-शान और पहचान हैं। मिर्जा गालिब की बात करते हुये राज्यपाल ने अपनी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! में डाॅ0 अम्मार रिजवी द्वारा लिखित प्रस्तावना को पढ़कर सुनाया। राज्यपाल ने कहा कि उर्दू भाषा की अपनी अलग मिठास है। भाषा को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और सारी भाषायें आपस में बहनें हैं जिसमें हिन्दी बड़ी बहन जैसी है।
श्री नाईक ने कहा कि उर्दू उत्तर प्रदेश की दूसरी सरकारी भाषा है। अन्य भारतीय भाषाओं के साथ-साथ उर्दू का भी विकास होना चाहिये। राज्यपाल ने बताया कि जब वे राजभवन आये तो उन्होंने देखा कि राजभवन के गेटों पर कोई स्पष्ट पट्टिका नहीं थी, उन्होंने प्रयास करके सभी गेटों पर हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में गेट संख्या अंकित करायी। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा सुनने में अच्छी लगती है और वे स्वयं भी उर्दू सीखने का प्रयास कर रहे हैं।