सुलतानपुर: बैंक यूनियनों की हड़ताल का जिले में व्यापक असर
सुलतानपुर। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स और यूएफआरआरबीयू की संयुक्त हड़ताल का जिले में व्यापक असर रहा। भारतीय स्टेट बैंक सहित सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ साथ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की शाखाओं और क्षेत्रीय कार्यालय के ताले नही खुल सके। हड़ताली बैंक कर्मचारियों ने भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा का मेनगेट बन्द कर प्रदर्शन किया। बड़ौदा उ0प्र0ग्रामीण बैंक के अमहट स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में भी ताला लटकता रहा और बाहर सैकड़ो अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। पिछले 4 दिनों से सार्बजनिक अवकाश और चुनाव के कारण लगातार बैंक बन्द रहे हैं आज बैंक यूनियनों की हड़ताल की वजह से बन्द है। शहर के अधिकांश एटीएम कैशलेस हो चुके हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल के चलते जिले भर में बैंकों की बीच में होने वाली क्लियरिंग ठप हो जाने से लगभग 20 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है।
ग्रामीण इलाकों में भी इस हड़ताल का जर्बदस्त प्रभाव देखा गया। जिले की प्रमुख बाजारों में स्थित ग्रामीण बैंक सहित सभी बंैकों की शाखाओं के शटर भी नही खुल सके। इस हड़ताल को आवाहन राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों की सभी 9 यूनियनों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों के 7 संगठनों ने संयुक्त रूप से किया था। यूनाइटेड फोरम आफ आरआरबी यूनियन्स के मीडिया प्रभारी और नेेशनल फेड्रेशन आफ आर.आर.बी. यूनियन्स महासचिव शिवकरन द्विवेदी ने बताया कि केन्द्र की मौजूदा सरकार बैंकिग व श्रम कानूनों में संशोधन करके बैंकों को निजीकरण के रास्ते पर ले जाना चाहती है इसके लिए बंैक बोर्ड ब्यूरों का गठन किया गया है। विमुद्रीकरण के दौरान मृत हुए बैंक कर्मचारियों और ग्राहकों के लिए मुवाबजा, अनुकम्पा नियुक्ति और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी का दर्जा दिये जाने जैसी दर्जनों मांगों को ले कर यह हड़ताल आयेाजित की गयी थी। हड़ताल को रोकने के लिए 21 फरवरी को उपकेन्द्रीय श्रमायुक्त दिल्ली द्वारा आयोजित की गयी समझौता वार्ता बेनतीजा रही। समझौता वार्ता में वित्त मंत्रालय और भारतीय बैंक संघ के अधिकारियों द्वारा मांगों के प्रति नकारात्मक रवैये का प्रदर्शन किया गया ।
गौरतलब है कि बैंकिग उद्योग के कर्मचारी और अधिकारियों की सभी यूनियनें भारत सरकार द्वारा चलाई गयी नोट बन्दी के दौरान अतिरिक्त काम के लिए ओबर टाइम का भुगतान, इस दौरान काम के दबाव के मृत हुए बैंक कर्मियों को मुवावजा दिये जाने,बैंक लाइनों में जान गंवाने वाले ग्राहकों को क्षतिपूर्ति, बैंकिग व श्रम कानूनों में प्रस्तावित संशोधन, बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन, स्थाई पदों पर भी आउट सोर्सिग करने, बैंक बोर्ड में कर्मचारी और अधिकारी निदेशकों की नियुक्ति किये जाने, केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति अनुकम्पा नियुक्ति और असीमित ग्रेच्यूटी भुगतान टैक्स फ्री, केन्द्र की भांति बैंकों में भी 5 दिन का साप्ताहिक काम आदि मांगों इस हड़ताल की प्रमुख मांगें हैं। हड़ताल के दौरान विरोध प्रदर्शन में यूएफबीयू के स्थानीय नेता सुनील मिश्रा, डी.डी.त्रिपाठी, आलोक सिंह, संजीव सिंह, अरूण सिंहबड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक कें नेताओं आनन्द दूबे, अरूण सिंह, बी.पी.सिंह, भूपेन्द्र सिंह, जाहिद सईद, सुरेन्द्र पाण्डेय, हरि प्रकाश, ललन कुमार, आदि शामिल रहे। बैंकिग उद्योग की इस देश व्यापी हड़ताल में ग्रामीण बैंकों के भी शामिल होने से बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक की जिले की सभी 79 शाखाओं पर पूरी तरह से तालाबन्दी होगी। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों मेें बैंक बन्दी के पांचवे दिन भी नकदी की आपूर्ति पूरी तरह से ठप रहने से जनता का परेशानी उठानी पड़ेगी।