शाह क़लन्दर की दरगाह पर हमला, वहाबी विचारधारा का प्रैक्टिकल- ख़ालिद मिस्बाही
जयपुर। पाकिस्तान की मशहूर दरगाह हज़रत शाह क़लन्दर की दरगाह पर हमला सूफ़ीवाद पर हमला है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं और कहना चाहते हैं कि किसी भी काल में सूफ़ीवाद वहाबी आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगा। यह बात भारत के सबसे बड़े मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही ने कही। वह पाकिस्तान में दरगाह हज़रत शाह क़लन्दर की दरगाह पर हुए आतंकवादी हमले और इसमें शहीद 100 श्रद्धालुओं की घटना पर अपनी राय प्रकट कर रहे थे।
यहाँ पत्रकारों से बातचीत में मिस्बाही ने कहाकि वहाबी विचारधारा जब ख़तरनाक प्रैक्टिकल पर आती है तो वह स्थिति बनती है जो आप पाकिस्तान में देख रहे हैं। इसलिए इस विचारधारा को समझे बिना आतंकवाद को नहीं समझा जा सकता। उन्होंने कहाकि इस कायराना हमले से दक्षिण एशिया के उदार सूफ़ी मुसलमान डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहाकि पाकिस्तान की सरकार, सेना और ख़ुफ़िया के सामने आज यह चुनौती है कि यदि उन्होंने अब भी वहाबी आतंकवाद को राज्य का प्रश्रय देना नहीं रोका तो अन्तत: यह पाकिस्तान को निगल जाएगा। मिस्बाही ने कहाकि पाकिस्तान की भारत विरोध के चक्कर में इतनी बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है कि सरेआम सौ लोग मार दिए जाते हैं और दुर्दान्त वहाबी आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट इसकी ज़िम्मेदारी लेता है और उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मिस्बाही ने कहाकि भारत के सूफ़ी मुसलमान मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं और हमलावर वहाबी आतंकवादियों की विचारधारा और पाकिस्तान की आतंकवाद प्रश्रय नीति को इसका ज़िम्मेदार मानती हैं। पाकिस्तान को भारत से सीखना चाहिए कि आतंकवाद नहीं, विकास और मूल मुद्दों ग़रीबी और अशिक्षा से जंग के वह आगे बढ़ सकते हैं।
मिस्बाही ने भारत में उन कथित मुस्लिम संगठनों पर भी उंगली उठाई जिन्होंने इस घटना की अब तक वैचारिक आधार पर निन्दा नहीं की है। उन्होंने कहाकि सऊदी अरब और क़तर की जिस धन से वहाबी विचारधारा को पाकिस्तान में प्रश्रय मिला और आज वह समाप्ति के कगार पर पहुँच गया है, उन्हीं तानाशाही तंत्रों से भारत में भी कई वहाबी संगठन पैसा लेकर भारत में इस ख़तरनाक विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। मिस्बाही ने भारत सरकार के चेतावनी दी कि इस संगठनों की पहचान का आसान तरीक़ा ये है कि इस वहाबी विचारधारा के नाम लिेए बिना आतंकवाद की आलोचना करने वाले भरम बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने सभी सूफ़ी संगठनों से वहाबी विचारधारा का नाम लेकर आतंकवाद की आलोचना करने का आग्रह किया।