भोपाल: मध्य प्रदेश में आईएसआई के कथित 11 जासूसों की गिरफ्तारी के बाद दिग्विजय सिंह के एक ट्वीट ने राजनीति को गर्मा दिया है. दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है कि आईएसआई के एजेंटों में एक भी मुसलमान नहीं है. उनमें एक भाजपा का सदस्य है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा, 'भोपाल में पकड़े गए आईएसआई के एजेंटों में एक भी मुसलमान नहीं. उनमें से एक भाजपा का सदस्य. मोदी भक्तों कुछ सोचो. दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट के साथ अखबारों की कुछ कटिंग भी शेयर की हैं.

भोपाल में पकड़े गए आईएसआई एजेंटों में एक भी मुसलमान नहीं – दिग्विजय सिंह कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में आईएसआई के लिए कथित तौर पर जासूसी करने वाले गिरोह के 11 सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद कहा है कि आईएसआई के एजेंटों में एक भी मुसलमान नहीं है.

दिग्विजय सिंह ने पिछले साल भोपाल जेल ब्रेक और उसके बाद सिमी से जुड़े आठ आरोपियों के एनकाउंटर में मारे जाने पर भी सवाल उठाए थे. दिग्विजय सिंह ने लिखा था, 'हमेशा मुसलमान ही जेल तोड़कर क्यों भागते हैं, हिंदू क्यों नहीं.'

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पुलिस के एटीएस ने कथित तौर पर पाकिस्तान से संचालित सामरिक महत्व के स्थानों की जासूसी करने वाले गिरोह के 11 सदस्यों को धर दबोचा है.
एटीएस प्रमुख संजीव शमी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘पाकिस्तान से संचालित जासूसी और हवाला कारोबार से जुड़े सतना के बलराम सहित ग्वालियर से पांच, भोपाल से तीन और जबलपुर से दो लोगों को पकड़ा गया है,’’

संजीव शमी ने बताया कि गत नंवबर माह में जम्मू में अतराष्ट्रीय सीमा पर आर एस पुरा सेक्टर में सतविंदर सिंह और दादू नामक दो व्यक्तियों को वहां सुरक्षा प्रतिष्ठानों की तस्वीरें लेने के दौरान गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसियों द्वारा इन दोनों से पूछताछ के बाद मध्य प्रदेश एटीएस ने सतना से बलराम नामक व्यक्ति को पकड़ा, जो कि पाकिस्तान में बैठे लोगों द्वारा संचालित इस गिरोह के लिये देश में हवाला करोबार के जरिए धन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराता था.

एटीएस प्रमुख शमी ने कहा कि विदेशों से गिरोह के लोगों द्वारा हवाला के जरिए बलराम के खातों में अलग-अलग नामों से बार-बार धनराशि जमा की गई थी. विदेशों से गिरोह के लोगों द्वारा पैरेलल टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए अंतरराष्ट्रीय कॉल में नाम और पहचान छिपाई जाती थी.

विदेशों से आने वाले कॉल को एक्सचेंज के जरिए रूट कर भारतीय मोबाइल नंबर से देश में फोन पर बात की जाती थी. इसमें निजी टेलीफोन कंपनियों के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं.