पिछड़े और दलित हिंदू धर्म को छोड़ें, क्योंकि यह गुलामी की निशानी है: शिव नारायण कुशवाहा
लखनऊ.पिछड़ा समाज महासभा के राष्ट्रीय महासचिव शिव नारायण कुशवाहा ने आज पिछड़ा समाज महासभा कार्यालय में पिछड़ों दलितों से अपील की है कि वे अपने ऊपर सैकड़ों वर्षों से हो रहे अत्याचार और अन्याय को देखते हुए हिंदू धर्म को छोड़ कर अपनी आस्था किसी ऐसी जगह से कनेक्ट करें जहां उन्हें न्याय समानता और सम्मान मिल सके।
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है बल्कि सत्ता हासिल करने का रास्ता है.पिछड़ों दलितों को तब तक बराबरी और हिस्सेदारी नहीं मिल सकती है जब तक खुद को हिंदू धर्म से जोड़े रहोगे क्योंकि इस विचारधारा के लोग कभी भी दलितों व पिछड़ों को आगे नहीं आने देंगे और न ही उन्हें बराबरी और भागीदारी देंगे जैसा की हज़ारों सालो से इन के साथ हो रहा है।
उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का हवाला देते हुए कहा कि अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है बल्कि एक परंपरा है। जब यह एक परंपरा है तो पिछड़े और दलित इस परंपरा को क्यों निभा रहे हैं । उन्हें चाहिए कि इस परंपरा को छोड़कर बराबरी अपनाएँ.जो परंपरा सैकड़ों वर्षों से उन्हें तकलीफ दे रही है और उन की आजीविका छीन रही है ऐसी परंपरा को दलित व पिछड़े समाज अब बहुत दिनों तक बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कुशवाहा ने यह भी कहा कि जो धर्म (परंपरा) आपस में नफरत फैलाने का काम कर समाज व देश को बांटने का काम करे ऊंच नीच हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई का भेदभाव पैदा करे, ऐसे धर्म को तो छोड़ना ही होगा।
उन्होंने पिछड़ों दलितों से अपील की है कि इस असमानता के धर्म से दूर हट करा समानवता वादी के रास्ते से जुड़ें जहां उनके सम्मान और बराबरी मिल सके।