लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने नरेंद्र मोदी सरकार के आम बजट 2017 पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह आम आदमी के लिए नोटबंदी से उसके जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
पार्टी के राज्य सचिव रामजी राय ने कहा कि नोटबंदी से हुए नुकसान के बाद लोगों को बजट से राहत की उम्मीद थी, पर इसकी बजाय बजट ने जनता की पीठ में फिर से छुरा घोंपा है। नोटबंदी से आय और आजीविका को हुए भारी नुकसान की कोई क्षतिपूर्ति बजट में नहीं मिली है।

उन्होंने कहा कि कर्जग्रस्त किसानों को कर्जमाफी की दरकार थी, पर बजट से किसान व कृषि क्षेत्र को कोई राहत नहीं मिली है। यह विडंबना ही है कि मनरेगा को खारिज करने के बाद सरकार उसके बजट में मामूली बढ़ोतरी कर श्रेय लेना चाहती है। माले नेता ने कहा कि अघोषित नगद चंदे की राशि की सीमा 20,000 से घटाकर 2,000 करने से राजनीतिक दलों को कारपोरेट फंडिंग की भ्रष्ट प्रक्रिया और धन शोधन की शायद ही साफ-सफायी होगी। जरुरत इस बात की है कि राजनीतिक फंडिंग की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाये और सहारा-बिड़ला डायरी व पनामा पेपर से जो खुलासा हुआ है, उसमें मिसाल कायम करने वाली सजा दी जाये। लेकिन इसकी बजाय इन मांगों को सरकार द्वारा खारिज किया जाना और इसमें बाधा पैदा करना जारी है।

आम बजट के साथ रेल बजट मिलाकर एकीकृत बजट पेश करने के नाम पर सरकार ने रेलवे का पुनः अवमूल्यन किया है और यात्री सुविधाओं, संरक्षा व सुरक्षा की जरुरतों को पूरा करने की जगह उसमें पलीता लगाया है। भविष्य में संरक्षा कोष बनाने व जैविक शौचालय लगाने जैसी मामूली घोषणाएं उन करोड़ों सामान्य यात्रियों को आश्वस्त नहीं कर सकतीं, जो पहले से ही पीड़ित व आर्थिक बोझ तले दबे हैं और जिनके लिए रेलयात्रा लगातार महंगी और असुरक्षित होती जा रही है।

माले नेता ने जनता से मोदी अर्थशास्त्र के घातक रास्ते का विरोध करने का आह्वान किया है और प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे विधानसभा चुनाव को नोटबंदी के हमले और बजट से किये गये विश्वासघात का करार जवाब देने के अवसर के रुप में उपयोग करें।