आर्थिक सर्वे: 2017-18 में जीडीपी विकास लक्ष्य 7.1%
नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र की शुरुआत मंगलवार से हो गई और आज संसद में वित्त वर्ष 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद के समक्ष आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे) पेश किया। इसके अनुसार, ब्याज दरों में कमी से अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। गौर हो कि संसद के दोनों सदनों को राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति के अभिभाषण के तुरंत बाद ये दस्तावेज संसद के पटल पर रखे गए।
आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य बातें :-
-आर्थिक समीक्षा में 2017-18 की वृद्धि दर 6.75 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान।
-2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि घटकर 6.5 प्रतिशत पर आएगी।
-विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के बाद वर्ष 2017-18 में जीडीपी वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान।
-चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रहेगी। 2015-16 में यह 1.2 प्रतिशत रही थी।
-आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, कच्चे तेल के घटे दाम से अप्रत्याशित राजकोषीय लाभ की उम्मीद।
-अचल संपत्ति की कीमतों में गिरावट के परिणामस्वरूप मध्यम वर्ग को किफायती मकान मिलेंगे।
-पुनर्मुद्रीकरण से अप्रैल 2017 तक नकदी की किल्लत समाप्त हो जाएगी।
-2017-18 के लिए अनुमान है कि आर्थिक विकास अब सामान्य हो जाएगा क्योंकि नए नोट आवश्यक मात्रा में चलन में वापस आ गए हैं और विमुद्रीकरण पर आगे की कार्रवाई की गई है।
-नकारात्मक निर्यात वृद्धि का रुझान 2016-17 (अप्रैल-दिसम्बर) के दौरान कुछ हद तक परिवर्तित हुआ और निर्यात 0.7 प्रतिशत बढ़कर 198.8 बिलियन तक पहुंच गया।
-2016-17 की पहली छमाही के दौरान चालू खाता घाटा 2015-16 की पहली छमाही के 1.5 प्रतिशत से घटकर जीडीपी के 0.3 प्रतिशत पर आ गई।
-सितम्बर 2016 के आखिर में भारत का विदेशी कर्ज 484.3 अरब डॉलर था जो कि मार्च 2016 के आखिर के स्तर की तुलना में 0.8 अरब डॉलर कम रहा।
-कृषि क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 4.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो कि 2015-16 के दौरान 1.2 प्रतिशत थी।
-2016-17 के लिए 13.01.2017 तक रबी फसलों के तहत कुल क्षेत्र 616.2 लाख हेक्टेयर रहा जो कि पिछले वर्ष के इस सप्ताह की तुलना में 5.9 प्रतिशत अधिक है।
-2016-17 के लिए 13.01.2017 तक चना दाल के तहत कुल क्षेत्र पिछले वर्ष के इस सप्ताह की तुलना में 10.6 प्रतिशत अधिक रहा।
-औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर के 2016-17 के दौरान 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि 2015-16 के दौरान 7.4 प्रतिशत थी।
-सेवा क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति लगातार तीसरे वित्त वर्ष के दौरान नियंत्रण में बनी रही। औसत सीपीआई मुद्रास्फीति दर 2014-15 के 5.9 प्रतिशत से घटकर 2015-16 के दौरान 4.9 प्रतिशत पर आ गई तथा अप्रैल-दिसम्बर 2015 के दौरान 4.8 प्रतिशत पर बनी रही।
-थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर 2014-15 के 2.0 प्रतिशत से गिरकर 2015-16 में (-) 2.5 प्रतिशत पर आ गई और अप्रैल-दिसम्बर 2016 के दौरान इसका औसत 2.9 प्रतिशत रहा।
-मुद्रास्फीति दर में खाद्य वस्तुओं के संकीर्ण समूह से अकसर बढ़ावा मिलता है और इनमें दालों की खाद्य मुद्रास्फीति में बड़ी भूमिका रही है।
-सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति दर चालू वित्त वर्ष के दौरान स्थिर बनी रही है और इसका औसत लगभग 5 प्रतिशत रहा है।
-अप्रैल-नवम्बर 2016 के दौरान अप्रत्यक्ष करों में 26.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
-अप्रैल-नवम्बर 2016 के दौरान राजस्व व्यय में मजबूत वृद्धि को मुख्य रूप से सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन तथा पूंजी परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए अनुदानों में 39.5 प्रतिशत वृद्धि के कारण बढ़ावा मिला।
-सरकार का कहना है कि विमुद्रीकरण से जीडीपी वृद्धि दर पर पड़ रहा प्रतिकूल असर अस्थायी ही रहेगा।
-अगले वित्त वर्ष में जीएसटी कलेक्शन पर सतर्क रहने की जरूरत।
-ब्याज दरों में कमी से अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
-नोटबंदी के बाद ग्रोथ के लिए नीतिगत समीक्षा की जरूरत।
-इस बढ़ते हुए आंतरिक एकीकरण को और बढ़ाने के लिए यह समय तेजी से कानूनों के कार्यान्वयन का है।
-सर्वेक्षण में बताया गया है कि अखंड आर्थिक भारत के निर्माण के दौर में राजनीति,प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार पकड़ रहे हैं।
-वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2016 -17 पेश किया।
केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली की ओर से आज संसद में पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण 2017 में कहा गया है कि मार्च 2017 के आखिर तक नकदी की आपूर्ति के सामान्य स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है, जिसके बाद अर्थव्यवस्था में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। अत: वर्ष 2017-18 में जीडीपी वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है।
आर्थिक सर्वेक्षण में इस ओर ध्यान दिलाया गया है कि विमुद्रीकरण के अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक प्रतिकूल असर और लाभ दोनों ही होंगे, जिसका ब्यौरा संलग्न तालिका में दिया गया है। विमुद्रीकरण से पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों में नकद राशि की आपूर्ति में कमी और इसके फलस्वरूप जीडीपी वृद्धि में अस्थायी कमी शामिल है, जबकि इसके फायदों में डिजिटलीकरण में वृद्धि, अपेक्षाकृत ज्यादा कर अनुपालन और अचल संपत्ति की कीमतों में कमी शामिल हैं, जिससे आगे चलकर कर राजस्व के संग्रह और जीडीपी दर दोनों में ही वृद्धि होने की संभावना है।
बता दें कि केंद्रीय बजट को पेश करने से एक दिन पहले देश का आर्थिक सर्वे प्रस्तुत किया जाता है। बजट से पूर्व संसद में वित्त मंत्री देश की आर्थिक दशा की आधिकारिक रिपोर्ट पेश करते हैं, यही आर्थिक सवेक्षण कहलाता है। आर्थिक सर्वे को देश की अर्थव्यवस्था का आईना माना जाता है। आम बजट से ठीक पहले संसद में मौजूदा वित्त मंत्री देश की आर्थिक दशा की तस्वीर पेश करते हैं। इसे आर्थिक सर्वेक्षण कहते हैं। इसमें पिछले 12 महीने के दौरान देश में विकास का लेखा जोखा प्रस्तुत किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है। बता दें कि आम बजट 2017-18 बुधवार यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्रालय अरुण जेटली संसद में पेश करेंगे।