इसौली में टूट नही रही है मतदाताओं की चुप्पी, प्रत्याशियों में बेचैनी
विकास राव
सुलतानपुर। जिले की विधानसभा सीट इसौली में बसपा के लिए राह आसान नहीं है दलित मतों व ब्राहम्ण के सहारे बसपा ने प्रबुद्ध वर्ग के प्रत्याशी शैलेन्द्र त्रिपाठी को टिकट देकर सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय पर वाहवाही बटोरने का प्रयास किया है किन्तु इतिहास साबित करता है कि दलितों के हित की बात करने वाली बसपा ने आजादी के बाद से आज तक कोई भी दलित को प्रत्याशी नहीं बनाया है।
विधानसभा इसौली के मतदाताओं की चुप्पी से पार्टी दलों के प्रत्याशियों में खलबली सी मच गई है। प्रत्याशी अपने-अपने कार्यकर्ताओं के जरिये मतदाताओं का मन टटोल रहे है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा की जीत हुई थी अबरार अहमद ने जनता का प्रतिनिधित्व किया। सपा विधायक ने पॉच वर्षो में भले ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन सुविधा हेतु सड़कों का निर्माण या मरम्मत न कराया हो लेकिन कुछ चुनिन्दें गॉवों में जल निकासी की व्यवस्था के लिए बजट जरूर स्वीकृत कराया है। विधायक अबरार अहमद ने विकास खण्ड बल्दीराय वासियों की वर्षो पुरानी मांग को अमली जामा पहनाकर इसे तहसील का दर्जा दिला दिया विधायक द्वारा पॉच वर्ष में सारी निधि का इस्तेमाल करके उसे समाप्त कर दिया। विधानसभा क्षेत्र की जनता आज भी वहीं पुरानी टूटी फूटी सड़कों पर चलकर आए दिन चोटहिल हो रही है। वर्ष 2012 के चुनाव में एक क्षेत्रीय दल पार्टी के समर्थन पर धनपतगंज के बाहुबली ब्लाक प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू ने अपने पिता की विरासत को संजोए हुए चुनाव लड़ा था तो वे दूसरे नम्बर पर रहकर सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को चेता दिया था कि इसौली के मतदाताओं में अभी भी उनके पिता की याद बरकरार है। एक जमाना था कि जब श्री सिंह के पिता इन्द्रभद्र सिंह राजनीति में कदम रखा था पूरी इसौली भद्र परिवार की ऋणि हो गई थी लेकिन विधान सभा इसौली के हुए नये परिसीमन ने भद्र परिवार को थोड़ा झटका दिया किन्तु आज भी हलियापुर के भाले सुलतानियों के गढ़ कट जाने के बाद भी यशभद्र सिंह का दबदबा कायम है।
इस बार यशभद्र सिंह को बसपा, सपा, भाजपा ने चाहते हुए भी उन्हें टिकट नहीं दिया है। क्षेत्र के मतदाताओं में ऐसी चर्चाए सुनने को मिल रही है अगर इन तीनों पार्टियों ने श्री सिंह को प्रत्याशी बनाया होता तो शायद विधानसभा इसौली की सीट उस पाले में होती। बसपा ने सबसे पहले शैलेन्द्र त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन सोचने का बिन्दु है कि विधानसभा क्षेत्र में कुल तीन लाख उन्तालिस हजार दो सौ बीस मतदाता है जिसमें सर्वाधिक संख्या मुसलमानों की है। दूसरे नम्बर पर ब्राहम्ण मतदाता है इधर भाजपा ने ओमप्रकाश पाण्डेय बजरंगी को अपना प्रत्याशी बनाया है, भाजपा में टिकट को लेकर बड़ा विरोध भी हो रहा है लेकिन पार्टी तौर पर देखा जाय तो क्षेत्र में दो ब्राहम्ण प्रत्याशियों के आ जाने से जातिगत मतों का बिखराव होना स्वाभाविक है। बसपा के लिए कहने के लिए तो तो दलित एक जरूर है लेकिन पिछले बारह वर्षो से लगातार दलितों, मजलूमों, गरीबों, असहाय लोगों के प्रत्येक सुख-दुःख में बरार की भागीदारी निभाने वाले
समाजसेवी शिवकुमार सिंह भी इस विधानसभा से चुनाव लड़ने की ताल ठोंक चुके है पिछले वर्ष हुए जिला पंचायत के चुनाव में इनकी पत्नी ऊषा सिंह ने रिकार्ड तोड़ मतों से जीत कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन हुई है। बसपा ने इन्हें समर्थन देकर चुनाव जिताया था, लेकिन ऊषा सिंह बसपा से नाता तोड़कर सपा में शामिल होकर जिला पंचायत की सर्वोच्च कुर्सी को हासिल किया था। शिवकुमार सिंह टिकट के लिए शिवपाल यादव सब बराबर सम्पर्क में थे लेकिन सपा में पारिवारिक विवाद हो जाने के कारण सपा से शिवकुमार सिंह को टिकट नहीं मिल पाया। इधर पत्नी ऊषा सिंह सपा से जिला पंचायत अध्यक्ष है तो उधर शिवकुमार सिंह चुनाव मैदान में उतरकर लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके है। विधानसभा क्षेत्र में श्री सिंह का चुनाव लड़ना इसे सपा की बगावत कहा जाय या उनकी अपनी सोच। फिलहाल क्षेत्र में शिवकुमार सिंह की समाजसेवा की दृष्टिकोण से अलग पहचान है दलितों, मजलूमों, अति पिछड़ों सहित अन्य मतदाताओं में श्री सिंह सेंध लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगें। ऐसे में बसपा के मतदाताओं का बिखराब भी सम्भव है। विधानसभा इसौली के इस 2017 के चुनाव में अगर पिछले चुनाव का आकलन किया जाये तो शायद यह आंकलन इस चुनाव में भारी पड़ेगा। इस चुनावी महासमर में लड़ाई दो के बीच होना सम्भव है एक सपा व दूसरी एक समर्थित पार्टी के प्रबल दावेदार यशभद्र सिंह मोनू। सपा चुनाव में बल्दीराय को तहसील बनाये जाने राजकीय महिला विद्यालय की स्थापना किये जाने, कुड़वार क्षेत्र में नाले निर्माण की स्वीकृति का मुद्दा बना रही है तो यशभद्र सिंह मोनू अपनी व्यक्तिगत पहचान के चलते वोट हासिल करने का प्रयास कर रहे है।
थम नही रहा भाजपा प्रत्याशी का विरोध: एक तरफ जहां भाजपाईयों की नोटबंदी के चलते किरकिरी हो रही है, वही कुछ प्रत्याशियों के टिकट काटने को लेकर विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नही ले रहा। इसौली विधानसभा के प्रत्याशी ओमप्रकाश के विरोध में करीब दो सौ बूथ अध्यक्षों ने प्रदेश बीजेपी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। इसके पहले जिला कार्यालय पर भी जमकर प्रदर्शन किया गया था।
बढ़ती जा रही है विधायक अरूण वर्मा की परेशानिया: पीस पार्टी और निषाद पार्टी ने पूर्व ब्लाक प्रमुख सनत्य कुमार उर्फ बब्लू को सदर विधानसभा से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा से सीताराम वर्मा और बसपा से राजबाबू उपाध्याय इसके बाद बब्लू के आने से सपा प्रत्याशी अरूण वर्मा की परेशानी बढ़ गई है। गैंगरेप जैसे आरोप इनकी राह में कांटे बिछा रहे है।