संगीत के क्षेत्र में स्वर का अपना महत्व है: राज्यपाल
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय लखनऊ के दीक्षान्त समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि संगीत के क्षेत्र में स्वर का अपना महत्व है। उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा पश्चिम चाहे जो भी दिशा हो, स्वर दिशा और सीमा से परे हैं। कडे़ परिश्रम एवं प्रमाणिकता तथा सतत काम करने की प्रवृत्ति से विकास होगा। असफलता से घबरायें नहीं बल्कि उसका सामना करें। जीवन में अनुशासन और प्रमाणिकता ही विकास का मंत्र है। उन्होंने कहा कि जो आत्मविश्वास के साथ-साथ साधना करेगा वही आगे बढे़गा।
श्री नाईक ने कहा कि आज के दीक्षान्त समारोह में भी लड़कियों ने ज्यादा पदक प्राप्त किये हैं। पीएच0डी0 में लगभग 83 प्रतिशत छात्राओं ने तथा 17 प्रतिशत लड़कों ने उपाधि प्राप्त की है और उसी तरह पदक प्राप्ति में 74 प्रतिशत पदक लड़कियों को मिले हैं तथा केवल 26 प्रतिशत पदक लड़कों को मिले हैं। दीक्षान्त समारोह जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है जहाँ किताबी पढ़ाई समाप्त होती है लेकिन खुली प्रतियोगिता के लिये उपाधि प्राप्तकर्ता तैयार होता है। निरन्तर चलते रहने से सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने अपने जीवन के विधायक, सांसद, मंत्री और राज्यपाल बनने के अनुभव को साझा करते हुये बताया कि ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ ही उनके जीवन का सार है।
राज्यपाल ने कहा कि 25 जनवरी मतदाता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसलिये आने वाले विधान सभा चुनाव में संविधान द्वारा दिये गये मताधिकार का अवश्य प्रयोग करें। वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में प्रदेश में 12.74 करोड़ मतदाता थे जिसमें केवल 59.52 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया तथा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 13.88 करोड मतदाताओं में केवल 58.27 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया जिसका मतलब यह है कि करीब 40 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान नहीं किया। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नयी मतदाता सूची के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2017 के विधान सभा चुनाव में 14.13 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 24.53 लाख नये मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। उन्होंने आग्रह किया कि मतदान के अधिकार के साथ मतदान करके अपने दायित्व का निर्वहन करें तथा संकल्प लें कि प्रदेश में शत-प्रतिशत मतदान हो।
मुख्य अतिथि पद्मभूषण डाॅ0 एन0 राजम ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि उपाधि प्राप्त करने के बाद असली पढ़ाई शुरू होती है जो अंतिम सांस तक चलती है। अपने वरिष्ठ कलाकार से नयी बात सीखने का प्रयास करें। संगीत में 50 प्रतिशत सीखने और अभ्यास से तथा 50 प्रतिशत दूसरों को सुनने और देखने से पूर्णता आती है। उन्होंने कहा कि स्वयं में विद्यार्थी का भाव सदैव जिंदा रखें।
इस अवसर पर कार्य परिषद, विद्वत परिषद के सदस्य, अनेक संगीत प्रेमी, विशिष्टजन व भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रायें उपस्थित थें।