लखनऊ । रिहाई मंच ने जेएनयू में चल रहे छात्र आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार अपनी नीतियों से जेएनयू का लोकतान्त्रिक पहचान को मिटाने पर आमादा है। केंद्र सरकार नही चाहती है कि जेएनयू में दलित,पिछड़ें ,अल्पसंख्यक और आदिवासी छात्र-छात्राओं का प्रवेश हो तभी शातिर तरीके से मौखिक परीक्षा के आधार पर प्रवेश देनें की रणनीति बना रही है। रिहाई मंच ने छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार कार्यकर्त्ता बेला भाटिया के घर पर पुलिस संरक्षण में असामाजिक तत्वों द्वारा किये गए हमले की निंदा की है।

रिहाई मंच लखनऊ प्रवक्ता अनिल यादव ने जेएनयू में चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार मनुवाद के खिलाफ उठाने वाली हर आवाज को दबा देना चाहती है। जेएनयू में जिस तरीके से दलित -पिछड़े ,अल्पसंख्यक और आदिवासी छात्र -छात्राओं को मौखिक परीक्षा में बेदखल करने की संघी रणनीति बनायीं जा रही है उससे साफ़ होता है की नजीब के लिए चल रहे आंदोलन से बौखलाई मोदी सरकार बहुजन छात्र -छात्राओं को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि कल देर रात जिस तरीके से आपराधिक ढंग से दिल्ली पुलिस भूख हड़ताल पर बैठे छात्रनेता दिलीप यादव को कैम्पस से उठाकर ले गयी उससे साफ़ होता है कि जेएनयू के संघी कुलपति किसी भी हालात में सामजिक न्याय के इस आंदोलन का गला दबाना चाहतें हैं।

छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार बेला भाटिया के घर पर जिस तरह से पुलिस के संरक्षण में गुंडों ने हमला किया उससे साफ़ होता है कि भाजपा शासित राज्यों में किस तरह से लोकतान्त्रिक और मानवाधिकार के लिए उठाने वाली आवाज़ को कुचला जा रहा है।