आरक्षण पर संघ के बयान पर भड़के पासवान
बोले, ऐसे बयान चुनावों के दौरान क्यों दिए जाते हैं
नई दिल्ली: भाजपा के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने आरक्षण पर आरएसएस के प्रचार प्रमुख के विवादास्पद बयान पर रविवार को कड़ी आपत्ति जताई और पूछा कि ऐसे बयान चुनावों के दौरान क्यों दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह का बयान बिहार चुनावों में राजग को महंगा साबित हुआ था। नरेन्द्र मोदी की सरकार में दलित चेहरा पासवान ने कहा कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था को रद्द करने के किसी भी प्रयास का लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ‘जोरदार’ विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि आरएसएस के प्रवक्ता और इसके अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य द्वारा हाल में आरक्षण पर दिए गए बयान से लोग भ्रमित होंगे।
पासवान ने से कहा, ‘पिछली बार आरएसएस ने बिहार चुनावों के दौरान इसी तरह के बयान दिए थे और इस बार इसने उत्तरप्रदेश चुनावों के दौरान कहा है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि चुनावों के दौरान इस तरह के बयान क्यों दिए जाते हैं? इसके कारण बिहार में हमें काफी नुकसान हुआ था। आरएसएस स्वतंत्र संगठन है और मुझे नहीं मालूम कि वह इस तरह का बयान क्यों देते हैं। इस तरह के बयानों से स्वाभाविक तौर पर लोग भ्रमित होंगे।’
आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने शुक्रवार को आरक्षण नीति की समीक्षा की वकालत कर विवाद पैदा कर दिया और कहा कि अंबेडकर भी इसे हमेशा के लिए जारी रखने के पक्ष में नहीं थे। इस बयान से भाजपा को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में नुकसान होने की संभावना है।’’
बता दें, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आरएसएस नेता मनमोहन वैद्य कहा कि जाति आधारित आरक्षण खत्म होना चाहिए। एक सवाल के जवाब में वैद्य ने कहा था, ‘आरक्षण का विषय भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिहाज से अलग संदर्भ में आया है। इन्हें लंबे समय तक सुविधाओं से वंचित रखा गया है। भीमराव अंबेडकर ने भी कहा है कि किसी भी सत्र में ऐसे आरक्षण का प्रावधान हमेशा नहीं रह सकता। इसे जल्द से जल्द खत्म करके अवसर देना चाहिए। इसके बजाय शिक्षा और समान अवसर का मौका देना चाहिए। इससे समाज में भेद का निर्माण हो रहा है।’