लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने अपने पाँच साल के कार्यकाल की मध्यावधि पूर्ण होने पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि वे अब तक 15,381 व्यक्तियों से व्यक्तिगत रूप से राजभवन में भेंट कर चुके हैं, लखनऊ में 533 सार्वजनिक कार्यक्रमों में तथा लखनऊ के बाहर 348 कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर चुके हैं। राज्य का संवैधानिक मुखिया होने के नाते उन्हांेने सरकार के साथ हमेशा सकारात्मक और सार्थक संवाद कायम किया है। उल्लेखनीय है कि जनता के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से राज्यपाल अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते रहे हैं। इससे पूर्व ‘राजभवन में राम नाईक’ शीर्षक से 2014-15 एवं 2015-16 में प्रकाशित पुस्तिका के माध्यम से उन्होंने अपने कार्यों की जानकारी दी थी।

राज्यपाल ने बताया कि गत 6 माह में विभिन्न समस्याओं के संबंध में आमजन द्वारा 23,783 पत्र भेजकर संवाद स्थापित किया गया है, जिन पर आवश्यक कार्यवाही की गयी है। राज्यपाल ने बताया कि विधायक उमा शंकर सिंह की सदस्यता समाप्ति के अभिमत के लिये उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग को निश्चित समयांतराल पर पांच पत्र प्रेषित करके शीघ्र अभिमत देेने के लिये कहा। गत 10 जनवरी 2017 को भारत निर्वाचन आयोग से अभिमत प्राप्त होने पर 14 जनवरी 2017 को विधायक उमा शंकर सिंह की विधान सभा सदस्यता समाप्त की गयी।

श्री नाईक ने बताया कि लोकायुक्त से प्राप्त अब तक 53 विशेष प्रतिवेदनों, जिसमें वर्तमान लोकायुक्त द्वारा प्रेषित एक विशेष प्रतिवेदन भी सम्मिलित है, पर राज्य सरकार कोे स्पष्टीकरण ज्ञापन उपलब्ध कराये जाने हेतु कहा गया था परन्तु अभी तक 2 विशेष प्रतिवेदनों के संबंध में ही स्पष्टीकरण ज्ञापन उपलब्ध कराये गये है। उन्होंने मुख्यमंत्री को 12 अगस्त 2016 एवं 21 दिसम्बर 2016 को पत्र प्रेषित किये गये हैं। लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त से प्राप्त विशेष प्रतिवेदनों में 9 पूर्व मंत्रियों, 1 विधायक, 3 अध्यक्ष (नगर पालिका/नगर पंचायत) तथा 40 अधिकारियों का उल्लेख है।

राज्यपाल ने कहा कि महालेखाकार (आर्थिक एवं राजस्व सेक्टर आॅडिट) उत्तर प्रदेश ने अवगत कराया गया था कि राज्य सरकार द्वारा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के व्यय एवं प्राप्तियों का आॅडिट किये जाने हेतु स्वीकृति प्रदान नहीं की जा रही है। इस संबंध में उनके द्वारा मुख्यमंत्री को तीन पत्र लिखे गये, कोई कार्यवाही न होने के बाद माननीय राष्ट्रपति, केन्द्रीय गृह मंत्री तथा केन्द्रीय वित्त मंत्री को 26 जुलाई 2016, 15 अक्टूबर 2016 तथा 20 दिसम्बर 2016 को पत्र प्रेषित किये गये हैं।

श्री नाईक ने बताया कि गत 6 माह में उनके द्वारा 21 विधेयकों पर अनुमोदन प्रदान किया गया है जबकि (1) उत्तर प्रदेश मदरसा (अध्यापकों एवं कर्मचारियों का वेतन भुगतान) विधेयक, 2016 तथा (2) एरा विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधेयक 2015 को राष्ट्रपति को संदर्भित किया है। बाद में एरा विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधेयक 2016 वर्तमान विधेयक की आपत्तियाँ दूर कर पुनः राज्य विधान मण्डल से पारित होकर उनके द्वारा अनुमोदित किया गया है। राष्ट्रपति को संदर्भित एरा विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधेयक 2015 की वापसी के लिये राज्य सरकार द्वारा माननीय राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है। उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय पंचायत एवं जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक, 2016 वर्तमान में विचाराधीन है। उन्होंने बताया कि 22 जुलाई 2016 से अब तक राज्य सरकार द्वारा तीन अध्यादेश प्रख्यापित करने हेतु प्राप्त हुये हैं जिसमें बेनेट विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश अध्यादेश, 2016 तथा आई0आई0एम0टी0 विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश अध्यादेश, 2016 को विषय की तत्कालिकता को देखते हुये उनके द्वारा प्रख्यापित किया गया तथा उत्तर प्रदेश नगरीय स्थानीय स्वायत्त शासन विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2016 को राष्ट्रपति को संदर्भित कर दिया गया है।

राज्यपाल ने कहा कि गत 6 माह में दयायाचिका से संबंधित 408 पत्रावलियाँ प्राप्त हुयी थी जिसमें से 188 बंदियों को संविधान एवं विधि अनुसार मानक पूर्ण होने पर उनके द्वारा रिहा किया गया। 170 बंदियों की पत्रावलियाँ विधि अनुसार न होने के कारण वापस की गयी है तथा 9 पत्रावलियाँ पुनर्विचार हेतु राज्य वापस की गयी हैं। शेष पत्रावलियाँ विधिक परीक्षोपरांत शीघ्र निस्तारित की जायेंगी। इस अवधि में गोरखपुर जेल में बंद 105 वर्षीय बंदी चैथी पुत्र स्व0 श्री कुंजल की रिहाई महत्वपूर्ण है। अत्यधिक उम्र के कारण यह एक विशेष मामला था।

श्री नाईक ने बताया कि जवाहर बाग मथुरा घटना के बाद मुख्यमंत्री को पूरेे प्रदेश में सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण, अवैध कब्जों तथा उससे राज्य सरकार को हुई हानि के संबंध में श्वेत पत्र जारी करने के लिये पत्र लिखा था और चर्चा भी की। इस संबंध में 23 सितम्बर 2016, 4 नवम्बर 2016 तथा 23 नवम्बर 2016 को अनुस्मारक पत्र भी प्रेषित किये गये है, परन्तु अभी तक प्रकरण में हुई प्रगति के बारे में सरकार द्वारा अवगत नहीं कराया गया है। उन्होंने बताया कि गत 6 माह में उनके द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित 12 न्यायाधीशों, 10 मंत्रियों, उप-लोकायुक्त तथा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड को पद की शपथ दिलायी गयी। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त अवधि में राष्ट्रपति को उनके द्वारा 6 प्रतिवेदन प्रेषित किये गये हैं।
राज्यपाल ने कुलाधिपति के रूप में किये गये कार्यों के बारे में बताते हुये कहा कि विश्वविद्यालयों का शैक्षिक कैलेण्डर पटरी पर आ गया है तथा 10 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह अब तक सम्पन्न हो चुके हैं। 14 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह मार्च माह के अंत तक प्रस्तावित हैं तथा शेष 4 नये विश्वविद्यालयों के छात्र अभी स्नातक स्तर तक नहीं पहुँचे हैं। विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने हेतु गत 6 माह में दो बार कुलपति सम्मेलन का आयोजन भी किया गया है। तीन विश्वविद्यालयों में नये कुलपति नियुक्त किये गये हैं तथा चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के निलंबित कुलपति प्रो0 मुन्ना सिंह को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के उन्नयन के लिये उनकेे द्वारा निजी क्षेत्र के 6 विश्वविद्यालय स्थापित करने हेतु विधेयक अनुमोदित किये गये।

श्री नाईक ने चुटकी लेते हुये बताया कि राज्यपाल रहते वे लेखक भी बन गये हैं। उनके संस्मरणों का संकलन मराठी भाषा की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती भाषा में 9 नवम्बर 2016 को राष्ट्रपति भवन दिल्ली तथा 11 नवम्बर 2016 को लखनऊ में लोकार्पण हुआ। उन्होंने विधान सभा चुनाव के मद्देनजर कुछ आंकडे़ प्रस्तुत करते हुये शत-प्रतिशत मतदान हेतु जागरूकता लाने को कहा तथा राजनैतिक पार्टियों, उम्मीदवारों, मतदाताओं, चुनाव में काम करने वाले सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों, सुरक्षा दलों का आह्वान किया कि चुनाव आचार संहिता का पालन करते हुये शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव सम्पन्न कराएं तथा उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का मार्ग प्रशस्त करें।