PAC को बताया, जनवरी में ही शुरू हो गयी थी प्रक्रिया

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने बुधवार को संसदीय कमेटी को बताया कि नोटबंदी की प्रक्रिया पिछले साल जनवरी में ही शुरू हो गई थी। उर्जित पटेल का यह बयान विरोधाभास पैदा कर रहा है। इससे पहले लिखित में कमेटी को बताया गया था कि नोटबंदी के ऐलान से एक दिन पहले सात नवंबर 2016 को सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 500 और एक हजार रुपए के पुराने नोट बंद करने की सलाह दी थी। बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने का ऐलान आठ नंवबर 2016 को किया था।

नोटबंदी के बाद से कितने पुराने नोट बैंकों में जमा हुए इसकी जानकारी देने से इनकार करते हुए पटेल ने कहा संसदीय कमेटी को बताया कि 9.2 लाख करोड़ रुपए की नई करेंसी बाजार में उतारी गई है।

टीएमसी सांसद और स्थाई संसदीय कमेटी के सदस्य सौगत रॉय ने मीडिया से कहा कि हमें भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों में से किसी ने नहीं बताया कि सिस्टम कब तक सामान्य होगा। सभी अधिकारी अपने बचाव में लगे हुए थे। साथ ही रॉय ने बताया कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल हमें यह भी नहीं बता पाए कि नोटबंदी के बाद से कितने पुराने नोट बैंकों में जमा हुए हैं। वहीं सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने लिखा है, ‘आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने स्थाई संसदीय कमेटी के सदस्यों को बताया कि 9.2 लाख करोड़ रुपए की नई करेंसी बाजार में उतारी गई हैं।’ वहीं एएनआई ने इससे पहले सूत्रों के हवाले से लिखा था कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि बैंकों में कितने पुराने नोट पहुंचे हैं और कितने नए नोट छापे गए हैं।

पटेल ने संसदीय कमेटी को नोटबंदी और इससे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर के बारे में बताया। साथ ही पटेल ने कैश की किल्लत को कम करने के लिए आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी बताया।

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बुधवार को वित्तीय मामलों की स्थाई संसदीय कमेटी के सवालों का सामना किया। इस कमेटी के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद विरप्पा मोइली हैं। शुक्रवार को पटेल एक अन्य कमेटी के सामने पेश होंगे। इस कमेटी के अध्यक्ष कांग्रेस के केवी थॉमस हैं। इस कमेटी ने पहले कहा था कि अगर वे उर्जित पटेल के जवाबों से संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे पीएम मोदी को भी बुला सकते हैं।