तीन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का मोदी के फैसलों पर सवाल उठाना चिंता की बात
नई दिल्ली: पिछले तीन दिनों में तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मोदी सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े होते हैं। पहली रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक की तरफ से आई। 11 जनवरी को आई उस रिपोर्ट में कहा गया कि नोटबंदी की वजह से भारत की आर्थिक विकास की स्पीड में कमी आएगी। दूसरी रिपोर्ट इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने दी। उसमें कहा गया कि भारत के आर्थिक विकास की दर 6.6 रही। जबकि उम्मीद थी कि वह 7.6 रहेगी। वहीं तीसरी बड़ी रिपोर्ट वर्ल्ड इक्नॉमिक फोर्म (WEF) की तरफ से आई। उसमें कहा गया कि उभरती अर्थव्यवस्था के मामले में भारत चीन और पाकिस्तान से पीछे है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत 60वें नंबर पर है और पड़ोसी चीन 15वें और पाकिस्तान को 52वें नंबर दिया गया है। लिस्ट में कुल 79 देश शामिल हैं।
वर्ल्ड इक्नॉमिक फोर्म (WEF) की रिपोर्ट को ‘Inclusive Growth and Development Report 2017’ के नाम से स्वीट्जरलैंड के दावोस में रिलीज किया गया था। Inclusive Growth and Development Report 2017 में 12 इंडिकेटर को ध्यान में रखकर परफॉर्मेंस देखा जाता है।
उस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त तीन पिलर्स को ध्यान में रखा जाता है। जिसमें विकास, समावेशन और स्थिरता को देखा जाता है। चीन को इसमें 15वीं पोजिशन मिली। नेपाल 27वें नंबर पर है। वहीं बांग्लादेश 36वें और पाकिस्तान 52वें स्थान पर है। वहीं ब्रिक्स के सदस्य रूस 13वें स्थान पर है। वहीं ब्राजील इसमें 30वें स्थान पर है।
भारत के पिछड़ने पर इसमें बारीकी से चर्चा तो नहीं की गई है। लेकिन कई लोग नोटबंदी को इसकी प्रमुख वजह मानते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब विदेश की मीडिया या फिर वहां के लोगों ने नोटबंदी के फैसले को गलत बताया। हालांकि, कुछ विदेशी नेताओं ने पीएम मोदी के कदम को ठीक बताकर उसका समर्थन भी किया था।