अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने पर संशय, विवाद बने चुनोती
आसिफ मिर्जा
लखनऊ। यूपी में चुनाव आयोग की तरफ से बिगुल बजने के बाद से लगातार पार्टियां अपने प्रत्याशी चुनावी दंगल में उतारने के लिए पूरी तैयारी कर रही हैं. लेकिन सपा अभी तक पारिवारिक विवाद से उबर भी नहीं पायी है. साथ ही सपा और कांग्रेस में अभी भी गठबंधन की बात चल रही है._
आज सोशल मीडिया एक एक लोगों तक पहुँच चुकी है। प्रदेश का लगभग हर युवा आज इससे जुड़ा हुआ है। इन सबके बीच इन्हीं युवाओं द्वारा सोशल मीडिया पर लगातार मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें बताया जा रहा है कि अखिलेश की सरकार ने बहुत सी ऐसी गलतियां की है, जिसके वजह से उनका फिर से जीतना नामुमकिन हो गया है। इसलिए आने वाले चुनाव में कोई भी अपना वोट बेकार ना करे.
मुजफ्फरनगर दंगे
इसकी शुरूआत हुई मुजफ्फरनगर से, इन दंगों में 62 लोग मारे गये. जिस वक्त हजारों लोग विस्थापित होकर टेंट में रह रहे थे, अखिलेश सैफई में सलमान खान का डांस देख रहे थे.
मथुरा का रामवृक्ष कांड
280 एकड़ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम पर हमला हो गया. एसपी और एसएचओ मारे गये. 23 पुलिसवाले अस्पताल में भर्ती हुए. जवाहर पार्क में रामवृक्ष यादव ने कब्जा जमा रखा था. पूरी सेना बना रखी थी. पुलिस के साथ लड़ाई चली. कुल 24 लोग मारे गये.
दादरी कांड
जब धर्मांध लोगों ने अखलाक को घर से खींचकर मार डाला तो अखिलेश सरकार ने ऐसे रिएक्ट किया जैसे सरकार कहीं से भी इस मामले से जुड़ी नहीं है.
बदायूं रेप कांड के बाद हुआ बुलंदशहर रेप
दो नाबालिक लड़कियों का रेप और मर्डर हुआ. वो क्या सांप्रदायिक ताकतों ने किया था? आरोप सपा सांसद के नजदीकी लोगों पर लगा था. क्या सांसद ने उन लोगों से पल्ला झाड़ा?
पत्रकार को जिंदा जलाया गया, मरते हुए मंत्री का नाम लिया था.
शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाया गया. इसमें भी सपा के एक मंत्री का नाम आया. क्या वो मंत्री अभी जेल में है?
दुर्गाशक्ति नागपाल
अखिलेश के राज में माइनिंग को लेकर चर्चा में आयी गौतमबुद्धनगर की कलेक्टर दुर्गाशक्ति नागपाल. दुर्गा ने माफिया पर शिकंजा कसना शुरू किया तो उन्हें सस्पेंड कर दिया गया.
आईजी अमिताभ ठाकुर का मुद्दा
अमिताभ ठाकुर की पत्नी ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज कराई थी. इसके बदले अमिताभ को धमकियां मिलने लगीं. एक ऑडियो भी आया जिसमें पता चला कि खुद मुलायम सिंह यादव अमिताभ को धमका रहे थे. कि जैसे एक बार पहले पीटे गये थे, वैसे ही पीटे जाओगे.
यादव सिंह का भ्रष्टाचार
नोएडा के चीफ इंजीनियर यादव सिंह पर सैकड़ों करोड़ की संपत्ति बनाने का आरोप लगा. पहले तो सरकार आना-कानी करती रही. फिर बाद में 2014 में सस्पेंड कर दिया गया. पर फरवरी 2015 में वन-मैन जुडिशियल इंक्वायरी बैठाई गई. क्योंकि इसे मैनेज करना आसान था.
प्रदेश से ज्यादा परिवार पर ध्यान
पाँच सालों से पूरा परिवार सिर्फ अपने आपसी झगड़ों में व्यस्त रहा. पहले ये झगड़े अंदर होती रही और अब चार साल बाद बाहर दिख रहा है. इसी कारण 2012 से 2016 तक मुलायम सिंह यादव मौका मिलते ही अखिलेश को डांटते रहे.
बड़ा प्रश्न
प्रश्न यह है कि क्या ऐसे लोगों के हाथ में उत्तरप्रदेश की जनता फिर से प्रदेश चलाने का जिम्मा देगीं?
क्या प्रदेश की जनता ऐसे लोगों को अपना आदर्श और मार्गदर्शक मानती है?
क्या जनता इतना सब देखने के बाद भी समझ नही पा रही की कौन जनता के लिए काम कर सकता है और कौन अपने और अपने परिवार के लिए?