प्रियंका-डिंपल पर लगाएंगी सपा (अखिलेश)-कांग्रेस गठबंधन की चुनावी नैया!
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी में जारी कलह और पार्टी पर अधिकार का संशय के बीच अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव लगातार उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की रणनीतियों में जुटे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक बहुत जल्द अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठजोड़ और सीटों के बंटवारे का औपचारिक एलान हो सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस गठबंधन के लिए दोनों प्रमुख पार्टियों से एक-एक अहम महिला चेहरे यानी सपा की ओर से डिंपल यादव और कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी ने बड़ी भूमिका निभाई है। अब राहुल गांधी और अखिलेश यादव मिलकर उस प्लान को अमली जामा पहनाएंगे। खबर है कि सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव जल्द ठोस फैसला लेंगे क्योंकि पहले चरण के चुनाव के लिए अधिसूचना 17 जनवरी को जारी होगी।
दोनों ही पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस बार के विधान सभा चुनाव के प्रचार में सपा की तरफ से डिंपल यादव और कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी अहम किरदार निभा सकती हैं। कांग्रेस में काफी लंबे समय से प्रियंका गांधी को चुनावी पिच पर उतारने की मांग हो रही थी। कांग्रेसी इस बात की भी मांग कर रहे थे कि अमेठी और रायबरेली के दायरे से बाहर आकर प्रियंका को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी जाय। इधर, सपा में भी कन्नौज से बाहर राज्य के अन्य हिस्सों में भी डिंपल से चुनाव प्रचार की कमान संभालने का अनुरोध किया जाता रहा है।
यूपी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने भी एक सवाल के जवाब में कहा है कि सब चाह रहे हैं कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी और डिंपल यादव सभी एक मंच पर दिखें लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पहले सपा के भीतर पिता-पुत्र में सुलह तो हो जाए। यानी इशारा साफ है कि बहुत जल्द ये सभी नेता एक मंच पर लोगों को एक साथ दिख सकते हैं।
पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अखिलेश और डिंपल आदर्श दंपति के रूप में दिखते हैं। इसके अलावा उनके साथ कहीं कोई विवाद नहीं जुड़ा है। इसलिए लोग अखिलेश के साथ-साथ डिंपल को बड़े स्टार प्रचारक के रूप में देखना चाहते हैं। अगर डिंपल स्टार प्रचारक के तौर पर उतरती हैं तो राज्य की राजनीति के साथ-साथ सपा में भी उनके लिए यह एक बड़ी छलांग होगी। गौरतलब है कि प्रियंका और डिंपल के बीच मधुर संबंध हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी इन दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई है।