विदाई भाषण में भावुक हुए ओबामा
शिकागो। बराक ओबामा ने अपने विदाई भाषण में भावुकता के साथ अमेरिकियों को संबोधित किया। ओबामा ने देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को सत्ता के सहज हस्तांतरण का वादा किया। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने विदाई भाषण में कहा कि अमेरिका अब ‘एक बेहतर, मजबूत स्थिति’ में है। उन्होंने कहा कि नस्लवाद अब भी ‘विभाजनकारी ताकत’ है।
ओबामा ने कहा कि घर आकर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी ही बदलाव लेकर आता है और बदलाव तभी होता है जब आम आदमी इससे जुड़ता है। हर रोज मैंने लोगों से कुछ न कुछ सीखा। रंगभेद पर अपने विचार रखते हुए ओबामा ने कहा कि अब स्थिति में काफी सुधार है जैसे कई सालों पहले हालात थे अब वैसे नहीं हैं। हालांकि रंगभेद अभी भी समाज का एक विघटनकारी तत्व है. इसे खत्म करने के लिए लोगों के हृदय परिवर्तन की जरूरत है, सिर्फ कानून से काम नहीं चलेगा।
आतंकी हमले पर उन्होंने कहा कि पिछले 8 सालों में एक भी विदेशी आतंकी हमला नहीं हुआ। इसका अभिप्राय उनके कार्यकाल से था। उन्होंने कहा कि अमेरिका पर हमला करने वाला कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता। उन्होंने अमेरिकी जनता से अपील की कि अमेरिकी मुस्लिमों के खिलाफ किसी प्रकार के भेदभाव को नकार दें। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे किसी भी भेदभाव को खारिज करता हूं। हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभालने जा रहे डोनल्ड ट्रंप पर किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की।
ओबामा ने रिपब्लिकन डोनल्ड ट्रंप का नाम अपने पूरे संबोधन में नहीं लिया। ट्रंप ओबामा को अगले 10 दिनों में रिप्लेस कर देंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की बड़ी ताकत सत्ता का एक राष्ट्रपति से दूसरे राष्ट्रपति को शांतिपूर्वक हस्तांतरण है। इससे पहले, हजारों की भीड़ ने ‘और चार साल…’ के नारे लगाए जिसपर ओबामा ने सहजता के साथ जवाब दिया और कहा- ‘मैं ऐसा नहीं कर सकता।’
राष्ट्रपति के रूप में देश को अपना अंतिम संबोधन देते हुए ओबामा ने कहा कि अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के कारण अमेरिका ‘ने महामंदी के दौरान फासीवाद के प्रलोभन और अत्याचार का विरोध किया और दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अन्य लोकतंत्रों के साथ मिलकर एक व्यवस्था कायम की। ऐसी व्यवस्था, जो सिर्फ सैन्य ताकत या राष्ट्रीय संबद्धता पर नहीं बल्कि सिद्धांतों, कानून के शासन, मानवाधिकारों, धर्म, भाषण, एकत्र होने की स्वतंत्रताओं और स्वतंत्र प्रेस पर आधारित थी।’
अपने गृहनगर से जनता को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, ‘उस व्यवस्था के सामने अब चुनौती पेश की जा रही है। यह चुनौती सबसे पहले उन हिंसक फासीवादियों की ओर से पेश आ रही है, जो इस्लाम के लिए बोलने का दावा करते हैं। सबसे हालिया चुनौती विदेशी राजधानियों में उन तानाशाहों की ओर से पेश की जा रही है, जो मुक्त बाजारों, मुक्त अर्थव्यवस्थाओं और नागरिक समाज को अपनी सत्ता के लिए एक खतरे के रूप में देखते हैं।’
ओबामा ने कहा, ‘जो खतरा ये दोनों पेश कर रहे हैं, इसका कुप्रभाव किसी कार बम या मिसाइल से कहीं ज्यादा है। यह बदलाव के डर, अलग तरह से दिखने, बोलने या पूजा करने वाले लोगों से लगने वाले डर, नेताओं को जवाबदेह ठहराने वाले कानून के शासन की अवहेलना, विरोध एवं मुक्त विचार के प्रति असहिष्णुता को पेश करता है। यह मानता है कि तलवार या बंदूक, बम या दुष्प्रचार ही अंत में यह निर्णय कर सकते हैं कि क्या सच है और क्या सही है।’ राष्ट्रपति पद पर ओबामा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा है। उनके बाद रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होंगे।
ओबामा ने कहा, ‘हमारे सैनिकों, खुफिया अधिकारियों, कानून प्रवर्तन अधिकारियों और उनका सहयोग करने वाले राजनयिकों के असाधारण साहस के चलते कोई भी विदेशी आतंकी संगठन पिछले आठ साल में हमारी धरती पर किसी हमले की सफल योजना बनाने और उसे अंजाम देने में विफल रहा है। हालांकि बोस्टन और ओरलैंडो हमें यह याद दिलाते हैं कि चरमपंथ किस हद तक खतरनाक हो सकता है..हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियां पहले से कहीं अधिक प्रभावी एवं सतर्क रही हैं।’ उन्होंने कहा कि आईएसआईएस को नष्ट कर दिया जाएगा और अमेरिका पर खतरा पेश करने वाला कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा।
ओबामा ने कहा, ‘हमने ओसामा बिन लादेन समेत हजारों आतंकियों को खत्म किया है। आईएसआईएल के खिलाफ हम जिस वैश्विक गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं, उसने आईएसआईएल के कई नेताओं को मार गिराया है, उनसे आधा इलाका वापस लिया है। देश सेवा में लगे इन सभी लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि आपका कमांडर-इन-चीफ बनना मेरे जीवन का सम्मान है।’
जलवायु परिवर्तन की समस्या पर काबू पाने के संदर्भ में ओबामा ने कहा, ‘महज आठ साल में, हमने विदेशी तेल पर अपनी निर्भरता को आधा किया है और नवीकरणीय उर्जा पर हमारी निर्भरता को दोगुना किया है। हम विश्व को एक ऐसे समझौते तक लेकर गए, जिसने इस ग्रह को बचाने का वादा किया है।’ ओबामा ने चेतावनी देते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की सच्चाई को नकारना आने वाली पीढ़ियों के साथ विश्वासघात करने जैसा है।
उन्होंने कहा, ‘बिना सख्त कदम उठाए, हमारे बच्चों के पास जलवायु परिवर्तन पर बहस करने का समय नहीं होगा। वे उसके प्रभावों, यानी पर्यावरणीय आपदाओं, पर्यावरणीय व्यवधानों और पर्यावरण शरणार्थियों की पूरी लहर से निपटने में व्यस्त होंगे।’ निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अब हमें इस समस्या के प्रति सर्वश्रेष्ठ रुख पर चर्चा करनी चाहिए न कि इस समस्या को सीधे नकारकर आने वाली पीढ़ियों के साथ विश्वासघात करना चाहिए। यह सोच समस्याओं को सुलझाने के लिए हमारे संस्थापकों का मार्गदर्शन करने वाले नवोन्मेषी एवं व्यवहारिक रुख के साथ विश्वासघात करती है।’