लखनऊ : इन्किलाब ए इस्लामी ईरान के एहम सदस्य और ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अयातुल्लाह अकबर हाशमी रफसंजानी के निधन पर मजलिसए ओलमाये हिन्द में शोक सभा का आयोजन हुआ । मजलिसए ओलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने आयतुल्लाह अकबर हाश्मी रफसंजानी के निधन पर गहरा शोक का व्यक्त रते हुए कहा कि उनका बलिदान कभी भी भुला नहीं जा सकता है।मौलाना ने कहा कि अयातुल्लाह हाशमी रफसंजानी ने इन्किलाब ए इस्लामी ईरान को सफल बनाने में इमाम खुमैनी के साथ अत्याचारों और दुर्व्यवहार का सामना किया लेकिन साम्राज्यवादी शक्तियों के सामने कभी सिर नही झुकाया।मौलाना ने कहा कि ईरान के विकास और जनता के कल्याण के लिए वह हमेशा काम करते रहे। उम्र की इस मंजिल में भी वह विभिन्न राजनीतिक और बौद्धिक क्षेत्रों की अध्यक्षता व निगरानी करते रहे। उनकी राजनीतिक विचारधारा के साथ उनके ज्ञान व इल्मी कारनामों को भी देखना चाहिए, वे एक समय मैं राजनीतिक और बौद्धिक दृष्टि के हामिल इसंान थे।उनकी तफसीर और अन्य किताबें शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी हैं ।मौलाना ने कह कि आज राजनीति की जो कल्पना हमारे मन में मौजूद है वह अत्यंत अनैतिक और भयानक है लेकिन ईरान की राजनीति ने दुनिया को बता दिया कि राजनीति इस्लामी प्रक्रियाओं और इस्लामी सिद्धांतों के प्रकाश में भी की जा सकती है। इस दर्शन राजनीति को दुनिया तक पहुँचाने में अयातुल्ला रफसंजानी ने अहम भूमिका निभाई।पुरी दुनिया उनकी सियायी बसीरत और इल्मी षखसियत की कायल रही है। उनके निधन पर हम मिल्लत ए ईरान व आयतुल्लाह सैयद अली खामेनई की सेवा में संवेदना और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

मौलाना रजा हुसैन नकवी ने कहा कि अयातुल्लाह रफसंजानी ने ईरान के विकास में एहम योगदान पेष किया है।उनका राजनीतिक जीवन बेदाग और आदर्श रहा है ।मौलाना ने कहा कि उनके राजनीतिक कार्यों के साथ ही उनकी लिखी हुई तफसीर, तफसीरे रहन्ुमा ने पुरी दुनिया को उनकी ज्ञान अंतर्दृष्टि और इल्मी बसीरत से रबरू कराया। मौलाना ने कहा कि उन्होंने हमेशा रहबरे मुअज्जम आयतुल्लाह खामेनई के इरादों और उम्मीदों के अनुसार काम किया और जीत हासिल की, उनके निधन पर पूरा इस्लामी समाज शोक संतप्त है।

मौलाना तसनीम मेंहदी जैपुरी ने कहा कि अयातुल्ला रफसंजानी का निधन हमारे लिये और पुरे इस्लामी समाज के लिये बेहद दुखद है।इन्किलाब ए ईरान की सफलता में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।इन्किलाब की सफलता के बाद वह ईरान के राष्ट्रपति बने और साम्राज्यवादी शक्तियों के खिलाफ बराबर संघर्ष करते रहे।निधन तक उन्होंने पूरी ईमानदारी और लगन के साथ ईरानी जनता और देश के विकास के लिए काम किया।
मौलाना हबीब हैदर आब्दी ने कहा कि अयातुल्ला हाशमी रफसंजानी ने सीरते पैगम्बर स0अ0 और सीरते आईम्मा अ0स0 के अनुसार जीवन बिताया है, वह जिस तरह राजनीति में सक्रिय थे उसी तरह ज्ञान व इल्मी कार्यों में भी अंत दम तक व्यस्त रहे। जिस तरह उनका राजनीतिक जीवन बेमिसाल है उसी तरह उनके ज्ञान व इल्मी काम भी बेनजीर हैं।

शोक सभा में मौलाना निसार अहमद जेनपूरी, मौलाना तसनीम मेंहदी जेपूरी, मौलाना इफ्तिखार हुसैन, मौलाना हबीब हैदर आब्दी, मौलाना फिरोज हुसैन ,मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना इस्तिफा रजा, मौलाना इब्ने अली वाइज, मौलाना जव्वार हुसैन,मौलाना षबाब हैदर और अन्य उलेमा ने भी शोक व्यक्त किया।जलसे में अयातुल्लाह हाशमी रफसंजानी के लिए फातिहा खानी भी की गई।