बिजली की गंभीर कमी से अभी भी जूझ रहा यूपी
ऊर्जा ऐप में उपलब्ध आंकड़ों में सामने आये तथ्य
लखनऊ। बीते ढाई साल में केन्द्र सरकार ने बिजली क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधार किए हैं जिनके परिणामस्वरूप देश में बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता व मात्रा में उल्लेखनीय बेहतरी आई है और साथ ही हजारों गांवों का विद्युतीकरण हुआ है, लेकिन उदासीन व प्रदेश सरकार की वजह से उत्तर प्रदेश इस मामले में अभी भी पिछड़ा हुआ है। भले ही राज्य सरकार पिछले 5 वर्षों में किए गए काम के बारे में बड़े-बड़े दावे करती हो लेकिन उससे यह तथ्य नहीं बदलता कि भारत के इस सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रदेश में लोग बिजली की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं जिससे प्रदेश की प्रगति पर भी चोट पहुंच रही है। ऊर्जा ऐप पर मौजूद आंकड़ों पर गौर करें तो हालात स्पष्ट हो जाते हैं, इस ऐप में देश भर के शहरों में बिजली आपूर्ति विस्तृत ब्यौरा दिया जाता है, इस जानकारी से समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में बिजली की स्थिति कितनी निराशापूर्ण है। यह समझने के लिए जरा इन उदाहरणों पर गौर कीजिए- मई 2016 में चरम गर्मी के दौरान देश की औसत बिजली कटौती 19 घंटे थी, किंतु उ.प्र. में 166 घंटों की भारी-भरकम कटौती हुई थी। गर्मी के साथ उमस भरे जून 2016 में उ.प्र. में 96 घंटों की बिजली कटौती रही, हालांकि मई के मुकाबले यह कम थी लेकिन जुलाई 2016 फिर से कटौती बढ़ी और 143 घंटों की हो गई। अगस्त 2016 में जहां बाकी देश में औसतन 19 घंटों की बिजली कटौती रही थी, वहीं उ.प्र. में फिर से यह आंकड़ा 91 घंटों के उच्च स्तर पर बना रहा।
उ.प्र. में बिजली की खराब स्थिति को और समझने के लिए इन आंकड़ों पर भी नजर डाल सकते हैं- मई 2016 में बाकी देश में पावर कट्स की औसत संख्या 10 थी जबकि उ.प्र. में 35 बार बिजली कटी। अगस्त 2016 में उ.प्र. में थोड़ा सुधार हुआ और 30 दफा बिजली कटी जबकि बाकी देश में 13 पावर कट्स हुए। उ.प्र. के नागरिक बिजली संबंधी जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं प्रदेश प्रशासन उनका समाधान कर पाने में सक्षम नहीं प्रतीत होता; इसके लिए कुछ आंकड़ों पर गौर करना होगा- मई 2016 में जहां 62 प्रतिशत शिकायतें लंबित थीं, वहीं जून में यह तादाद बढ़ कर 79 प्रतिशत हो गई, तथा अगस्त 2016 तक और ज्यादा बढ़ कर 81 प्रतिशत हो गई। अगस्त में करीबन 50,000 शिकायतें दर्ज हुई थीं लेकिन महीना खत्म होने तक 40,000 के करीब शिकायतों का निपटारा नहीं हुआ था। इसी प्रकार, नए बिजली कनेक्शनों के लिए आये लगभग 90 प्रतिशत आवेदन लंबित पड़े हैं। जुलाई 2016 में करीबन 2,00,000 आवेदन आए जबकि 87 प्रतिशत लंबित रहे। अगले महीने, 2,25,000 आवेदन आए किंतु 89 प्रतिशत लंबित रहे। एक ऐसा राज्य जहां बिजली आपूर्ति अस्थिर हो और कनेक्शन आसानी से न मिलते हों वहां बिजली की चोरी आम बात हो गई है। इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि मई, जून, जुलाई और अगस्त महीनों में 36 प्रतिशत बिजली चोरी चली गई और नवंबर आते-आते यह आंकड़ा उछल कर 44 प्रतिशत हो गया।