अल्लाह की राह में अपनी जान की कुर्बानी देने वाला शहीद कहलाता है: मौलाना नकी असकरी
लखनऊ: आसफ़ी मस्जिद के नमाजियों की और से मजलिसए ओलमाये हिन्द के बैनर तले शहीद आयतुल्लाह शेख बाकिर उल निम्र के इसोल सवाब के लिये मजलिस आयोजित की गई।शहीद आयतुल्लाह शेख बाकिर उल निम्र की पहली बरसी के मौके पर पूरी दुनिया में मजालिसें जारी हैं।
मजलिस को मौलाना सैयद नकी असकरी ने संबोधित करते हुए कहा कि आलिमए दीन अल्लाह के सिवा किसी दूसरी शक्ति के सामने सिर नहीं झुकाता है यही कारण है कि शहीद आयतुल्लाह शेख बाकिर उल निम्र ने अपनी मांगों पर कोई समझौता नहीं किया और शहादत के दर्जे पर आसीन हो गए । उनकी बरसी पर मजलिसों का सिलसिला बता रहा है कि हम ना उन्हें भूले हैं और ना उनकी षहादत केउद्देश्यको भूल सकते हैं।
मौलाना ने कहा कि अगर मौत हक्क और सच्चाई पर होती है तो शहादत का दर्जा नसीब होता है। जो अल्लाह की राह में अपनी जान कुर्बान करता है वही शहीद कहलाता है।लौगों की जान लेने वाले षहीद नही कहलाते । मौलाना ने कहा कि हर किसी को शहादत का दर्जा नहीं मिलता है, उन्होंने आगे अपने संबोधन में कहा कि निम्र का अर्थ साफ और षफाफ का होता हैं , उनका जीवन भी आईने की तरह साफ है और हमारे लिए नमूनाए अमल है। मौलाना ने कहा कि पूरी दुनिया में मुसलमानों खास कर शियों पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं। आज भी न जाने कितने ओलमा जेलों मै बंद है और जुलम सहन कर रहे हैं ,बहरीन, सऊदी अरब, नाइजीरिया और अन्य देशों में ओलमा के साथ बर्बरता का व्यवहार किया जा रहा है मगर जालिम याद रखें कि मिट जाना उनका भाग्य है और शहीद के लिए कुरान का वादा है कि वह मरता नहीं बल्कि अल्लाह के यहाँ से लगातार रिजक्क पाता है ,रिजक्क् का जारी रहना उनके जीवन की दलील है।
मजलिस में मौलाना सिराज हुसैन, मौलाना फीरोज हुसेन, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना सरताज हुसैन और आसफि मस्जिद के नमाजियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया । यह मजलिस आसफि मस्जिद के नमाजियों की और से मजलिसए ओलमाये हिन्द के बेनर तले मौलाना सैयद कलबे जवाद नकवी के इशारे पर आयोजित की गई थी ।मजलिस में सऊदी सरकार के जुल्म व सितम के खिलाफ विरोध नारे भी लगाए गए।