शहीद की याद मनाना जिंदा कौमों की निशनी है: कल्बे जवाद
अयातुल्लाह शहीद शेख बाकिर उल निम्र की पहली बरसी के अवसर पर मजलिस का आयोजन
लखनऊ 5 जनवरी : अयातुल्लाह शहीद शेख बाकिर उल निम्र की पहली बरसी के मौके पर दरगाह हजरत अब्बास रुस्तम नगर लखनऊ में मजलिसए ओलमाये हिन्द द्वारा एक मजलिस का आयोजन किया गया था ।इस मजलिस को मजलिसए ओलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने संबोधित किया ।मजिलस को संबोधित करते हुए मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने कहा कि शहीद का खून बेकार नहीं जाता यह अल्लाह का वादा है।जालिमों ने एक धर्मगुरू की सच्चाई और न्याय की माॅग को अपराध का नाम देकर फांसी दे दी ।फांसी देने का ये फैसला सऊदी शासकों के इन्साफ,हक्कगोई और इन्सानियत व इस्लाम दुश्मनी का स्पष्ट सबूत हे। अयातुल्लाह शहीद शेख बाकिर उल निम्र मुसलमानों के अधिकारों की वसूली, चरमपंथी टोले के आतंकवाद के खिलाफ और न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे ,जालिम सऊदी सरकार कभी इंसाफ मांगने वालों को जिंदा देखना नहीं चाहती इसीलिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी गईं मगर जो अल्लाह के लिए जीता है वह मौत से नहीं डरता।
मौलाना ने कहा के शहादत का जिक्र करना जिन्दा कौमों की निषानी है। शहादत कौमों के खयालात व फिा्र व नजरीयात मै इन्किलाब पेदा करती है।जो कौमें अपने शहीदों को याद नहीं करतीं वे समाप्त हो जाती हैं। मौलाना ने दौराने तकरीर कहा कि असंभव है कि शहीद की कुरबानी बर्बाद हो। यह प्रकृति व कुदरत के कानुन के खिलाफ है ।शहादत एक हथियार है जिससे जालिम खुद अपनी गर्दन काट लेता है। मौलाना ने कहा कि षेख बाकिर उल निम्र की शहादत के बाद सऊदी सरकार का पतन हुआ और इनशायाललह अब इस्से भी अधिक बुरे दिन देखना बाकी हैं ,षाहीद का खून रंग लाता है और दुनिया जालिम सऊदी अरब सरकार की बर्बादी देख रही है।
मजलिस तिलावते कुरान से षुरू हुयी।उसके बाद षायरों ने षहीद निम्र को श्रद्धांजलि दी ।मजलिस से पहले मौलाना फिरोज हुसैन ने शहीद अयातुल्लाह बाकिर उल निम्र के बलिदान का उल्लेख किया। मौलाना साबिर अली इमरानी ने शहीद को अषआर के जरिए श्रद्धांजलि पेश की। मजलिस में मौलाना रजा हुसैन, मौलाना हैदर अब्बास, मौलाना फैरोज हुसैन, मीसम रिजवी, हिदायत नवाब इमरान नकवी, और अन्य उलेमा व मोमनीन ने भाग लिया।
अयातुल्लाह शहीद बाकिर उल निम्र की पहली बरसी पूरी दुनिया में मनायी जा रहा है। लखनऊ में मजलिसए ओलमाये हिन्द की ओर से इस संबंध की पहली मजलिस दरगाह हजरत अब्बास रुस्तम नगर में आयोजित हुई। दूसरी मजलिस 6 जनवरी को नमाजे जुमा के बाद आसफि मस्जिद में आयोजित होगी जिसे मौलाना नकी असकरी साहब संबोधित करेंगे ।तमाम मोमनीर से अनुरोध है कि 6 जनवरी को जुमे की नमाज के तुरंत बाद आयोजित होने वाली मजलिस में भी जरूर शरीक हों और अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करें।