एकात्म मानववाद के प्रेणता थे पं0 दीनदयाल: राज्यपाल
लखनऊः इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमती नगर में आज एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ‘दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वाङ्मय’ तथा पं0 दीनदयाल पर एक डाक टिकट का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने की तथा मुख्य अतिथि के तौर पर अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी उपस्थित थे। 15 खंडों के दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वाङ्मय के 13वें खंड की भूमिका राज्यपाल राम नाईक ने लिखी है।
राज्यपाल ने लोकार्पण समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि यह सुखद संयोग है कि 1916 में 29 दिसम्बर को लखनऊ में राष्ट्रीय कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन हुआ था, जिसमें भारतीय असंतोष के जनक लोकमान्य तिलक ने अपने भाषण में कहा था कि ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे प्राप्त करूंगा’ और आज 29 दिसम्बर के ही दिन लखनऊ में ‘दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वाङ्मय’ और उन पर डाक टिकट का भी लोकार्पण हुआ।
श्री नाईक ने कहा कि गौरवशाली भारतीय परम्परा के प्रतीक एवं राष्ट्रवादी भावना जगाने वाली 20वीं सदी के महान मनीषियों में पं0 दीनदयाल का नाम बडे़ सम्मान के साथ लिया जाता है। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी और एकात्म मानववाद के प्रणेता थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन राष्ट्रहित के लिये समर्पित कर दिया था। पं0 दीनदयाल एक सामान्य व्यक्ति, कुशल संगठक और मौलिक विचारक होने के साथ-साथ समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनीति विज्ञानी एवं दार्शनिक भी थे। राज्यपाल ने पं0 दीनदयाल उपाध्याय के उस भाषण के कुछ अंश भी पढ़कर सुनायें, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘हमारा लक्ष्य अंत्योदय है और हमारा मार्ग परिवर्तन है।’
राज्यपाल ने कहा कि पं0 दीनदयाल ने अपने विचारों से लोगों को जोड़ा। एक राजनेता देश के लिये कैसे विचार करता है, यह समझने की आवश्यकता है। पं0 दीनदयाल में प्रेरणा देने की अद्भुत शक्ति थी। वे लगन और सम्पर्ण के साथ काम करने की मिसाल हैं। संगठन बनाने और उसे चलाने की उनमें अद्वितीय क्षमता थी। स्व0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उनके इस गुण को देखते हुये कहा था कि ‘मुझे दो दीनदयाल दे दो, मैं भारत को बदल दूंगा।’ राज्यपाल ने कहा कि पं0 दीनदयाल ने अंत्योदय में जो अपने विचार व्यक्त किये हैं उससे प्रेरणा प्राप्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनके शब्द हमारे लिये मार्गदर्शक हैं और उनके दिखाये रास्ते पर चलने की आवश्यकता है।