शत्रु सम्पत्ति अधिनियम संशोधन विधेयक बार बार आने से राष्ट्रपति नाराज़
नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक ही अध्यादेश पर लगातार पांचवी बार साइन करने पर नाराजगी जाहिर की है। दरअसल केंद्र सरकार ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम संशोधन विधेयक में संशोधन करने वाले अध्यादेश को फिर से जारी करके राष्ट्रपति से साइन करवाया था। इसको लेकर प्रणब मुखर्जी नाराज थे। प्रणब ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया कि वह अबतक उसे कानून के रूप में पारित नहीं करवा सकी है। खबरों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने देशहित का ध्यान रखते हुए उस अध्याधेश पर साइन कर दिए क्योंकि जनवरी से उससे जुड़े कुछ केस सुप्रीम कोर्ट में आने वाले हैं। अगर साइन नहीं होते तो विवाद बढ़ सकता था।
इससे पहले अगस्त में भी यह अध्याधेश राष्ट्रपति से सामने लाया गया था। तब कैबिनेट में उसका प्रस्ताव लाए बिना ही राष्ट्रपति के पास ले जाया गया था। उसपर प्रणब मुर्खजी गुस्सा हो गए थे। उन्होंने कहा था कि फिर से कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए। आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने कैबिनेट में पेश किए बिना उसे राष्ट्रपति के समक्ष रख दिया था। लोकसभा में इसको पहले ही पास करवाया जा चुका है लेकिन राज्यसभा जहां सरकार अल्पमत में है वहां यह फिलहाल अटका हुआ है। शीतकालीन सत्र में भी उसे पेश नहीं किया जा सका। पूरा सत्र नोटबंदी को लेकर हुए हंगामे की भेंट चढ़ गया और कोई काम नहीं हो सका।
शत्रु सम्पत्ति वह संपत्ति होती है जो किसी शत्रु देश या उस देश के किसी फर्म की है। ये संपत्तियां शत्रु संपत्ति कानून के तहत नियुक्त कस्टोडियन की देखरेख में रहती हैं। उस कस्टोडियन का कार्यालय केन्द्र सरकार के अंतर्गत होता है। 1965 की भारत- पाकिस्तान लड़ाई के बाद वर्ष 1968 में इस कानून को बनाया गया था।