कक्षा 6 से फिर शुरू होगा पास-फेल का सिस्टम
सरकार ने नो डिटेंशन पॉलिसी में संशोधन को दी मंजूरी
नई दिल्ली: मोदी सरकार शुरू करने जा रही छठी कक्षा से पास-फेल करने की नीति, कानून मंत्रालय ने प्रस्ताव को दी मंजूरीकानून मंत्रालय ने छठी कक्षा में पास-फेल सिस्टम को फिर से लाने के मानव संसाधन मंत्रालय (एचआरडी) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
कानून मंत्रालय ने छठी कक्षा में पास-फेल सिस्टम को फिर से लाने के मानव संसाधन मंत्रालय (एचआरडी) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेजों के अनुसार नो डिटेंशन पॉलिसी में संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है। एचआरडी मंत्रालय को भेजे गए नोट में कानून मंत्रालय ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून में सुझाए गए संशोधनों का समर्थन किया है। इस नोट में यह सुझाव भी दिया गया है कि एचआरडी मंत्रालय को आरटीई कानून में सुधार के लिए ड्राफ्ट बिल तैयार करना चाहिए। गौरतलब है कि वर्तमान में आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल नहीं करने का नियम है।
फेल नहीं करने का नियम आरटीई कानून की धारा 16 के तहत है और स्कूलों को आठवीं कक्षा तक छात्र को किसी कक्षा से निकालने या रोकने से मना करता है। चार साल पहले 2012 में मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से कहा गया था, ”नो डिटेंशन नीति बनाई गई है क्योंकि अक्सर परीक्षाएं कम अंक लाने वाले छात्रों को बाहर कर देने या पीछे कर देने के काम आती है। एक बार फेल घोषित बच्चे या तो ग्रेड दोहराते रहते हैं या फिर स्कूल ही छोड़ देते हैं। एक छात्र को एक कक्षा दुबारा पढ़ाना हतोत्साहित और निराश करना है।”
पास फेल सिस्टम को दुबारा से शुरू करने की कई राज्यों की मांग के बाद 2015 में सरकार ने एक पैनल का गठन किया था। पैनल ने नो डिटेंशन पॉलिसी के नकारात्मक प्रभाव को माना था। साथ ही नौंवी कक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों के फेल होने की राज्य सरकार की चिंताओं का भी अध्ययन किया था। इसके बाद मंत्रालय ने आरटीई कानून में संशोधन कर पास-फेल सिस्टम को फिर से शुरू करने का फैसला लिया। इस पर कानून मंत्रालय को आरटीई एक्ट की धारा 16 में संशोधन को लेकर सवालों के बारे में लिखा। इस खत में एचआरडी मंत्रालय ने बताया कि धारा 16 के तहत दी गई छूट का विपरीत असर पड़ रहा है क्योंकि बच्चे फेल ना होने के डर के कारण अनुशासनहीन हो रहे हैं। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है।
एचआरडी मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है, ”पांचवीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को ना तो फेल किया जाए और ना ही पीछे रखा जाए।” इस पर कानून मंत्रालय की ओर से कहा गया कि इस पर कोई आपत्ति नहीं है। उसने सेक्शन 38 में उपधारा डालने को भी मंजूरी दी है। लेकिन कानून मंत्रालय ने एचआरडी मंत्रालय के एक प्रस्ताव पर आपत्ति जताई। इसके तहत कहा गया था कि ब्लॉक लेवल पर एक सरकारी अधिकारी को पीछे छूटने वाले बच्चे को रिकॉर्ड रखने को नियुक्त किया जाए। यह अधिकारी स्कूल और अध्यापकों से जुड़ी जानकारी भी रखे। कानून मंत्रालय ने माना कि आरटीई कानून इस काम के लिए ब्लॉक लेवल अधिकारी मुहैया नहीं कराता।