कौशल विकास और रोजगार सृजन से प्रशस्त होगा विकसित भारत का मार्ग: प्रो नागेश्वर राव
रुद्रपुर: कौशल विकास और रोजगार सृजन से ही विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त होगा। आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सृजन प्रेरक होते है। भारतीय अर्थव्यवस्था को उत्पादक आयु समूह का लाभ तभी मिलेगा जब युवा कौशल में निपुण हो और उनकी कुशलता का समुचित उपयोग हो । रोजगार के लिए उपयुक्त कौशल प्राप्त युवा परिवर्तन के प्रतिनिधि हो सकते हैं जो न केवल अपने जीवन को प्रभावित करने के काबिल होंगे बल्कि दूसरों के जीवन में भी बदलाव के वाहक बनेगें ।
उक्त बातें दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र, सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय और एन एन जे आई टी आई के संयुक्त तत्वाधान आयोजित तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(सेबी), बीएसई आईपीएफ द्वारा वित्त पोषित एक सप्ताह की राष्ट्रिय कार्यशाला स्किल डेवलपमेंट एंड एम्प्लॉयमेंट जनरेशन (कौशल विकास और रोजगार सृजन) के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुमायु विश्वविद्यालय और उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नागेश्वर राव ने कही । उन्होंने आगे कहा की भारत युवा देश है, और युवा देश होने का एक पहलू यह भी है कि यहां युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना एक चिंता का विषय है। रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने की क्षमता तेजी से बढ़ाकर ही इस चिंता को दूर किया जा सकता है । रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए नए –नए उद्योग धंधे चाहिए, और उनमें काम करने के इच्छुक युवाओं में काम कर सकने की कुशलता चाहिए।
विशिष्ट अतिथि सेबी के डिप्टी जनरल मैनेजर प्रांजल जायसवाल ने कहा की वित्तीय साक्षारत से ही वित्तीय सशक्तिकरण संभव है । वित्तीय जागरूकता ही वित्तीय सशक्तिकरण का आधार है । ज्यादा का फायदा दिखाकर धोखा देने वालो और फर्जी योजनाओ में गाढ़ी कमाई को लूटने वालो पर सेबी ने लगाम लगाया है। भारत सरकार सेबी के माध्यम से वित्तीय संसाधन व्यक्तियो द्वारा वित्तीय जागरूकता अभियान चला रही है जिससे देश आर्थिक रूप से विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में खड़ा हो सके । बहुत बड़ा समूह है जो अभी भी सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओ का लाभ नहीं उठा पा रहा है क्योंकि उन्हें इसकी समुचित जानकारी नहीं मिल पा रही है । सेबी हर इन्वेस्टर की ताकत है आवश्यकता है वित्तीय साक्षरता की ।
विशिष्ट अतिथि बीएसई इन्वेस्टर सर्विस सेंटर के उत्तर भारत का कार्य देखने वाले हरबिन्दर सिंह सोखी ने कहा की अपनी गाढ़ी कमाई की बचत के लिए निवेश का सही रास्ता अपनाना चाहिए । म्युचुअल फण्ड की कम्पनियों की वेबसाईट पर सीधें निवेश की सुविधा उपलब्ध है सभी विकल्पों की जानकारी ही अधिक रिटर्न्स की गौरेंटी है । इसके साथ ही आप ने शेयर बाजार, डेरिवेटिव्स, बीमा और म्यूच्यूअल फंड्स में कैरियर विकल्पों की बात की ।
विशिष्ट अतिथि कुमायु गढ़वाल चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष अशोक बन्सल ने कहा की युवाओं में हुनर होगा तो गरीबी दूर करने में देरी नहीं लगेगी । विमुद्रीकरण का लक्ष्य लेसकैश सोसायटी बनाना है । आर्थिक गतिविधियाँ काले धन से हटकर सफेद धन में होनेलगेगीं तो विमुद्रीकरण सफल माना जाएगा । सरकार ऐसी योजनाओं का क्रियान्वयन पारदर्शी तरीके से करे जो गरीब, पीड़ित, किसान और युवाओं को तरक्की पर ले जाये।
उत्तरखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव और प्रबन्धन शास्त्र के संकायाध्यक्ष प्रो आर सी मिश्रा ने अपने बीज व्याख्यान में कहा की देश को आगे बढ़ना है, तो कौशल विकास ही एकमात्र माध्यम है। कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाए तो रोजगार जरूर मिलेगा। लोगों की काबिलियत बढ़ाने एवं रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दिया जा सके। चीन की पहचान दुनिया की मैन्यूफैक्चरिंग फैक्ट्री की बन गई है, तो हमारी पहचान दुनिया के ह्यूमन रिसोर्स उपलब्ध कराने की हो सकती है। कॉरपोरेट जगत और पीएसयू अगर मंत्रालय की पहल से जुड़ जाएं, तो यह एक ऐसे संस्थान का स्वरूप धारण कर लेगा, जिससे लोगों को हुनरमंद बनाने और भारत को विश्व की स्किल कैपिटल बनाने में आसानी होगी। वर्तमान सरकार जिस तरह से कौशल विकास पर जोर दे रही है इसके दूरगामी परिणाम आएंगे और भारत विश्व में प्रशिक्षित मानव संसाधन का अगुआ राष्ट्र होगा।
अध्यक्षता करते हुए कार्यशाला के अध्यक्ष और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जगदीश प्रसाद ने कहा की प्रशिक्षण प्राप्त युवा अपनी दक्षता में उत्तरोत्तर सुधार करते रहे। प्रतिभावान, उच्च कौशल वाले और नवीन विचारों से पूर्ण भारतीय युवा के अभिनव विचारों का समुचित उपयोग कर ही भारत रोजगार सृजन की संभावनाओं का दोहन कर सकता है। रोजगार के नए अवसरों का सृजन कर सकने की अपनी क्षमता तेजी से बढ़ानी होगी। पर्वतीय क्षेत्र के लिये विशेष औद्योगिक आस्थानों के निर्माण विकसित किये जाने आवश्यकता है जिससे स्थानीय युवकों को रोजगार उपलब्ध हो सके। हमारा प्रयास है छात्रों को ऐसा वातावरण प्रदान करना जिससे उनकी प्रतिभा-क्षमता निखर सके।
सम्मानित अतिथि ई कॉमर्स विभाग कुमायूं विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो अतुल जोशी ने उत्तराखण्ड में रोजगार सृजन चुनौतियाँ और संभानाओं पर बोलते हुए कहा की पहाड़ की पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आ रही है। पहाड़ के संसाधनों का कुशलता पूर्वक उपयोग ही पहाड़ की नैया पार लगाएगी । कौशल विकास द्वारा आर्थिक विकास की प्रक्रिया को वास्तव में एक जन क्रांति का रूप दिया जा सकता है। कौशल विकास से जरूरतमंद युवा को रोजगार मिल सकेगा और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
कौशल केंद्र के निदेशक डॉ योगेश कुमार शर्मा ने कार्यशाला की प्रस्तावना रखते हुए कहा की सरकार का लक्ष्य 2022 तक 15 करोड़ भारतीय युवाओं को काम का हुनर, कुशलता, दक्षता या स्किल सिखाना है। भारत को कौशल का वैश्विक केन्द्र बनाने और रोजगार की समस्या के समाधान के लिए ही कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय स्थापित किया गया है। “कुशल भारत, कौशल भारत” की चुनौती को स्वीकार कर ही विकसित भारत की संकल्पना को साकार किया जा सकता है ।
कार्यशाला का संचालन सहायक आचार्य डॉ हरनाम सिंह ने किया । आभार ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ विनोद कुमार ने किया जिसमे प्रमुख रूप से डॉ लीला महरा, डॉ डी डी जोशी, डॉ शम्भू दत्त पाण्डेय, डॉ चन्द्र प्रकाश, डॉ डी के पी चौधरी, डॉ शर्मीला सक्सेना, डॉ पी एन तिवारी, डॉ मनीषा तिवारी, डॉ नरेश कुमार, ई. आकांक्षा गुप्ता, अमित कुमार सिंह, कलि राम भट्ट, डॉ सुनील कुमार मौर्या , डॉ संतोष अनल, रूद्र देव, वेद विश्वकर्मा, हितेश जोशी, विवेक अग्रवाल, हेमा अधिकारी, मंजू पाण्डेय सहित सभी शिक्षक और कौशल केंद्र तथा एन एन जे आई टी आई के छात्र उपस्थित रहें ।