हैदराबाद बम विस्फोट मामले में हाईकोर्ट जाएगी जमीअत उलेमा
मुंबई: 21फरवरी 2013 को हैदराबाद में होने वाले बम विस्फोट मामले मेंआज विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को फांसी पर लटकाए जाने के आदेश जारी किए हैं लेकिन डिफेन्स के वकील और आरोपियों के परिजन निचली अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और हम इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे, यह विचार आरोपियों को कानूनी सहायता प्रदान करने वाली संस्था जमीअत उलेमा महाराष्ट्र (अरशद मदनी) कानूनी सहायता समिति के प्रमुख गुलजार आजमी ने मुंबई में व्यक्त किये ।
गुलजार आजमी ने बताया कि हैदराबाद के पास स्थित चीरा पली जेल में स्थापित की गई विशेष NIA अदालत के समक्ष मामले की सुनवाई प्रक्रिया के दौरान अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ गवाही देने के लिए 158 सरकारी गवाहों को तलब किया और 502 दस्तावेज अदालत में पेश किए तथा 201 ऐसी वस्तुओं को भी अदालत में पेश किया गया जिसे बम धमाकों के स्थानों से प्राप्त किया गया था।
गुलजार आजमी ने बताया कि आरोपियों की पैरवी जमीअत उलेमा की ओर से एडवोकेट आर माधवन ने की और बहस के साथ साथ उन्होंने 172 पन्नों का लिखित जवाब भी दाखिल किया और अदालत को बताया कि इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर आरोपपत्र अदालत में दाखिल किए जाने तक कानून की धज्जियां उड़ाई गईं और शीर्ष अदालत के आदेशों को नजरअंदाज किया गया जिसका फायदा आरोपियों को मिलना चाहिए तथा केवल इकबालिया बयान के आधार पर आरोपियों को दंड नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि इकबाल बयान आरोपियों से जबरन लिया गया था जिससे से वह पहले ही मुकर चुके हैं लेकिन विशेष अदालत ने बचाव के सभी तर्कों को सिरे से खारिज करते हुए आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई ।
गुलजार आजमी ने कहा कि निर्णय की प्रतियां प्राप्त करने के बाद वह मुंबई और दिल्ली के वरिष्ठ वकीलों से सलाह-मशविरा करने के बाद अपील दाखिल करने के संबंध में कार्य योजना तैयार करेंगे तथा उन्हें उम्मीद है कि हाई कोर्ट से आरोपियों को राहत प्राप्त होगी।
गौरतलब है कि दिल सुख नगर में हुए दोहरे बम धमाकों में 17 लोगों की मौत हुई थी जबकि 133 अफ़राद गंभीर घायल हुए थे। बम धमाकों के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने आरोपियों तहसीन अख्तर शेख एजाज, असद अल्लाह अख्तर, जिया उर रहमान उर्फ वक़ास, यासीन भटकल को गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ अवैध गतिविधियों को रोकने वाले कानून और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा स्थापित किया गया था।