भारत की आधी आबादी दृष्टि समस्या से ग्रसित: डॉ सुधीर श्रीवास्तव
लखनऊ: सभी इंद्रियों के बीच नेत्र दृष्टि सबसे महत्वपूर्ण है और उम्र के साथ इसमें गिरावट आती जाती है. नेत्र रोग विज्ञानियों के अनुसार भारत में मोतियाबिंद रोगियों की आयु दुनिया की औसत आयु की तुलना में 10 साल छोटी हैं. भारत की आधी आबादी (लगभग 550 मिलियन लोग) दृष्टि समस्या से ग्रसित है, जो स्पष्ट रूप से आंख की देखभाल और उन्नत समाधान की जरूरत बताता हैण्
कई लोगों की उम्र बढने के साथ् दृष्टि समस्या बढती हैए जिससे दैनिक काम जैसे पढ़ना, ड्राइविंग एक चुनौती बन जाता है. मोतियाबिन्द या बढते की आंख के साथ प्रेसबायोपिया ज्यादातर भारतीयों को उनके मध्यम आयु में प्रभावित करता है. 40 वर्ष की आयु के बाद, ज्यादातर लोगों को पढ़ने के चश्मे की जरूरत होती है क्योंकि माना जाता है कि आप अपने हाथ की पहुंच के भीतर नहीं देख सकते हैं. ज्यादातर मामलों में मोतियाबिंद समय के साथ आपकी दृष्टि को कम करता जाता है, यदि इसका समय रहते इलाज न हो तो यह कभी-कभी अंधापन का कारण बन जाता है. यह भविष्यवाणी करना कि कितनी जल्दी मोतियाबिंद एक खराब स्थिति मेँ बदल जाएगा, कठिन है. तो, लोगों को इंतजार नही करना चाहिए. तुरंत अपने नेत्र चिकित्सक से मिल कर अपनी दृष्टि जाँच करवानी चाहिए. बिना इलाज के मोतियाबिंद हाइपर मच्योर हो सकता है जिसे निकालना कठिन हो जाता है और इससे शल्य जटिलता पैदा होती है
नई तकनीक के साथ एक्सटेंडेड रेंज आफ विज आईओएल मोतियाबिंद सर्जरी, जो बेहतर नजदीक दृष्टि, दूरी दृष्टि के अलावा मध्यवर्ती दृष्टि प्रदान करता है, खास कर कम प्रकाश क्षेत्र मेँ, प्रत्यारोपण की नई पीढ़ी है
सन आई हॉस्पिटल लखनऊ लेजिंक एंड लेज़र सेन्टर के डॉ सुधीर श्रीवास्तव कहते है कि नए रोगी अनुकूल प्राद्यैगिकियों के साथ, मोतियाबिंद सर्जरी का प्रबंधन करना बहुत ही रोमांचक है. नई दिलचस्प तकनीक रोगियों की चिंता जैसे सर्जरी के बाद की शिकायतों चश्मा पहनना आदि को दूर करता है
नई लेंस प्रत्यारोपण से एक युवा आंख के काम को बेहतर बनाता है और मोतियाबिंद के साथ संघर्ष कर रहे लोगों को बेहतर दृष्टि का उपहार देता है. इस तकनीक ने कई लोगों के जीवन को बदल दिया है. इसलिए, लोगों के जीवन की गण्ुवत्ता में सुधार लाता है. इस तकनीक के साथ, लोग वापस अपने सामान्य जीवन को पा लेते है. पढ़ने, लिखने, ड्राइविंग, विभिन्न स्क्रीन पर संवाद स्थापित करने जैसी दैनिक दिनचर्या आसान हो जाती है और लोग अब पूर्णता के साथ जीवन जी रहे हैं