नोटबंदी से माया-ममता के चेहरे की रौनक़ ग़ायब हो गयी: अमित शाह
शाहजहांपुर (यूपी)। संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने विपक्ष पर निशाना साधा है। अमित शाह ने आरोप लगाया है कि नोटबंदी का विरोध करने वाले दल नहीं चाहते कि राजनीति से कालाधन समाप्त हो। यही कारण है कि उन्होंने संसद में राजनीतिक चंदा लेने की पद्धति पर चर्चा नहीं होने दी और शीतकालीन सत्र नहीं चलने दिया।
शाह ने शनिवार को पार्टी की परिवर्तन रैली को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक चंदा लेने की व्यवस्था पर चर्चा करने का सुझाव दिया था और ये भी कहा था कि पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक ही साथ होने चाहिए। मगर विपक्ष ने पूरे शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा नहीं होने दी। उन्होंने कहा कि वो (विपक्षी दल) चाहते ही नहीं हैं कि राजनीति से कालाधन जाए। मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करना चाहता हूं कि हमें मोदी जी के प्रस्ताव पर चर्चा करनी चाहिए, ताकि राजनीति में शुचिता लाई जा सके।
नोटबंदी का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि सबसे ज्यादा दर्द उन्हें हो रहा है जिनके अरबों रुपये रद्दी में बदल गए हैं। उन्होंने रैली के जरिए जनता से सीधा संवाद करते हुए बोला कि आपने ममता बनर्जी और मायावती के चेहरों को देखा है, चेहरे का नूर गायब हो गया है और एक ही दिन में उनकी उम्र दस साल बढ़ी हुई लग रही है। शाह ने नोटबंदी के निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि मोदी के एक ही निर्णय ने तस्करों, नक्सलियों, आतंकवादियों और जाली नोटों के गोरखधंधे में लगे लोगों को ठीक कर दिया है।