प्रदेश सरकार के तमाम जतनों के बावजूद नहीं सुधर रही हैं बच्चों की सेहत
लखनऊ: कुपोषण दूर करने के इंतजामों में झोल से 44 फीसदी बच्चे सेहत की परीक्षा में फेल हो गए। उम्र के हिसाब से न तो इनका वजन बढ़ रहा है न ही शारीरिक व मानसिक विकास। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानकों पर यह बच्चे फेल हो गए हैं। यह खुलासा वजन दिवस पर जारी रिपोर्ट में हुआ है। पांच ब्लॉकों में पांच साल तक के बच्चों का वजन किया गया। कुपोषण का यह आंकड़ा पिछले साल से करीब 20 फीसदी अधिक है।
हौसला मिशन भी पस्त: प्रदेश सरकार बच्चों की सेहत संवारने के लिए तमाम जतन कर रही है। योजनाएं चला रही है। हौसल पोषण मिशन व टीकाकरण जैसे अभियान को रफ्तार दे रही है। बावजूद इसके कुपोषित बच्चे कम नहीं हो रहे हैं।
पिछले साल के मुकाबले मौजूदा वर्ष में कुपोषण बढ़ा है। बच्चों में करीब 20 फीसदी कुपोषण बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक पांचों ब्लॉक में 13,088 बच्चे बहुत कमजोर यानी लाल श्रेणी (अतिकुपोषित) हैं। इसके पीछे मुख्य कारण बेहतर खान-पान और साफ-सफाई का अभाव है जबकि 45,297 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। वहीं 75 हजार बच्चों ने उम्र और वजन के इस टेस्ट को पास कर लिया है।
पांच ब्लॉकों की रिपोर्ट में खुलासा: राजधानी के पांच ब्लाकों में शनिवार को एक बड़ा अभियान चला कर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 1,33,363 बच्चों का वजन लिया गया। चिनहट, मोहनलालगंज, सरोजनीनगर, मलिहाबाद व आलमनगर (शहरी क्षेत्र) में चले वजन दिवस के इस काम में आंगनबाड़ी कर्मचारियों के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य व पंचायत के कर्मचारी भी लगाए गए थे। अभियान के बाद आई रिपोर्ट में करीब 58 हजार बच्चे अति कुपोषित व कुपोषित मिले। इन्हें लाल व पीली श्रेणी में रखा गया है।
खास देखभाल की जरूरत: डब्लूएचओ के मानक के मुताबिक अति कमजोर पाए गए बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। इन्हें अतिरिक्त पोषाहार और प्रोटीन देकर ही स्वास्थ्य बनाया जा सकता है। वहीं कुपोषित बच्चे भी उम्र और वजन की जांच में फेल हो गए हैं। इनके लालन पालन में परेशानी से इन बच्चों की सेहत और बिगड़ सकती है। कुपोषित बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में आ सकते हैं।
डॉ. एसएनएस यादव (सीएमओ) ने कहा, कुपोषित बच्चों को बलरामपुर अस्पताल में बने विशेष वार्ड में भर्ती कराया जा रहा है। परिवारीजन बच्चे को भर्ती नहीं कराना चाहती हैं। इसमें कुछ अड़चन आ रही है। व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए टीकाकरण अभियान को और मजबूत करने का दावा किया गया। अभी भी करीब 30 फीसद बच्चे टीकाकरण से महरूम हैं। मलिन बस्ती में टीकाकरण अभियान पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। 15 से 20 फीसदी बच्चे पूरे टीके नहीं लगवा रहे हैं।
कुपोषित बच्चों की बढ़ती संख्या को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों बिलकुल भी फिक्रमंद नहीं हैं। उनकी सेहत पर इसको लेकर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। यही वजह है कि कुपोषित बच्चों के लिए बलरामपुर अस्पताल में अलग से वार्ड बनाया गया।
इसमें बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज व खाने पीने का बंदोबस्त किया गया। इतना ही बच्चे के साथ रूकने वाली माता को 100 रुपए रोजाना खर्च भी देने का प्रावधान किया गया। कुपोषित बच्चों की तलाश का जिम्मा सीएमओ के पास है। पर, अफसरों की हीलाहवाली से वार्ड पूरा खाली पड़ा है। जबकि वार्ड के संचालन पर हर महीने लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं।
सिराज अहमद, जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा अतिकुपोषित श्रेणी में आए बच्चों का खास ध्यान रखा जाएगा। इनको अतिरिक्त पोषाहार के साथ ही हर महीने आधा किलो घी भी दिया जाएगा। सेहत संवारने के लिए दूसरी खाने पीने की वस्तुएं भी दी जाएगी।